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वॉशिंगटन, 01 अगस्त (हि.स.)। अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों ने एक संयुक्त बयान जारी कर ईरान पर यूरोप और उत्तरी अमेरिका में बढ़ते खतरों के लिए गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने ईरान से स्पष्ट रूप से कहा है कि वह विरोधियों, पत्रकारों, यहूदी नागरिकों और पूर्व/वर्तमान अधिकारियों को निशाना बनाने की अपनी खुफिया गतिविधियां तुरंत बंद करे।
गुरुवार को जारी इस संयुक्त बयान में कहा गया कि “हम ईरानी खुफिया एजेंसियों द्वारा यूरोप और उत्तरी अमेरिका में लोगों की हत्या, अपहरण और उत्पीड़न के प्रयासों का एकजुट होकर विरोध करते हैं। यह हमारी संप्रभुता का सीधा उल्लंघन है।”
बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि ईरानी खुफिया एजेंसियां अब अंतरराष्ट्रीय आपराधिक संगठनों के साथ मिलकर काम कर रही हैं ताकि वे पत्रकारों, यहूदी नागरिकों और असहमति जताने वालों को निशाना बना सकें — जिसे पूर्णतः अस्वीकार्य बताया गया।
बयान में चेतावनी दी गई है कि “ऐसे किसी भी हमले को हमारी संप्रभुता का उल्लंघन माना जाएगा, और हम सब मिलकर इन षड्यंत्रों को नाकाम करने के लिए काम करेंगे।”
किन देशों ने किया हस्ताक्षर
इस संयुक्त बयान पर अमेरिका और नाटो के 13 सदस्य देशों अल्बानिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड्स, स्पेन, स्वीडन और अमेरिका ने हस्ताक्षर किए हैं। ऑस्ट्रिया, जो नाटो का सदस्य नहीं है लेकिन आईएईए (यूएन परमाणु एजेंसी) का मुख्यालय है, वह भी हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल है।
ब्रिटेन और जर्मनी से जुड़े मामले
ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों ने कई बार ईरानी प्रायोजित साजिशों के बारे में चेतावनी दी है। वर्तमान में तीन कथित ईरानी जासूसों पर ब्रिटेन में आरोप है कि वे पत्रकारों की जासूसी और उन पर हमले की योजना बना रहे थे।
ब्रिटिश संसद की इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी कमेटी ने हाल ही में कहा, “ईरान एक व्यापक, निरंतर और अप्रत्याशित खतरा बन चुका है।”
इसी महीने की शुरुआत में जर्मन अभियोजकों ने बताया था कि एक व्यक्ति को डेनमार्क में गिरफ्तार किया गया, जिस पर बर्लिन में यहूदी ठिकानों और लोगों की जानकारी जुटाने का संदेह था।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय