तुलसीदास और प्रेमचंद जयंती पर विद्यासागर कॉलेज फॉर वुमन में दो दिवसीय विशेष व्याख्यान
विद्यासागर वूमेन फॉर कॉलेज में तुलसीदास और प्रेमचंद की जयंती मनाई गई


कोलकाता, 01 अगस्त (हि. स.)। विद्यासागर कॉलेज फॉर वुमन, कोलकाता के हिंदी विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में 30 और 31 जुलाई को महान साहित्यकार गोस्वामी तुलसीदास एवं मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर दो दिवसीय विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। संस्थान की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में बताया गया है कि इस व्याख्यान श्रृंखला का उद्घाटन कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सुतपा रॉय के प्रेरणादायक आशीर्वचनों और आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. तपन रॉय के स्वागत भाषण से हुआ। कार्यक्रम के पहले दिन यानी 30 जुलाई को खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने ‘तुलसीदास के साहित्य की प्रासंगिकता’ विषय पर विचार प्रस्तुत किए।

शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि तुलसीदास केवल धार्मिक विचारों तक सीमित नहीं थे, बल्कि उन्होंने समाज में व्याप्त राजनीतिक एवं सामाजिक विडंबनाओं पर भी गहरी दृष्टि डाली। वे व्यक्ति विकास के माध्यम से समाज के संपूर्ण उत्थान की कल्पना करते हैं और राजा से लेकर रंक यानी समाज के हर तबके के व्यक्ति तक मर्यादा की भावना को स्थापित करने का संदेश देते हैं।

दूसरे सत्र में रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक प्रो. प्रतीक सिंह ने ‘राष्ट्र निर्माण में प्रेमचंद की भूमिका’ पर व्याख्यान देते हुए कहा कि प्रेमचंद के साहित्य की ‘लोक-ध्वनि’ और ‘पारिवारिक अंतःस्वर’ ने भारतीय पाठकों के 'सुनने के संस्कार' को 'साहित्यिक संस्कार' में परिवर्तित कर दिया। उन्होंने प्रेमचंद को केवल कथाकार नहीं, बल्कि भारतीय चेतना के वाहक, सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रेरक और राष्ट्रनिर्माण के वैचारिक स्तंभ के रूप में प्रस्तुत किया। उनके अनुसार प्रेमचंद का साहित्य सत्य, करुणा, न्याय, समानता और मनुष्यता आधारित भारत की परिकल्पना करता है।

कार्यक्रम के दूसरे दिन यानी 31 जुलाई को भी उत्साहपूर्वक व्याख्यान जारी रहे और कॉलेज के हिंदी विभाग के विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य विभागों के शिक्षकगण भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। संपूर्ण कार्यक्रम का संयोजन हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अभिजीत सिंह ने किया और संचालन की जिम्मेदारी डॉ. सूफिया यास्मिन ने निभाई।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय