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शाजापुर, 1 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश शासन द्वारा शाजापुर जिला अस्पताल में मातृ-शिशु अस्पताल के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। इस अत्याधुनिक अस्पताल का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को स्थानीय स्तर पर ही सुरक्षित प्रसव की सुविधा उपलब्ध कराना था, जिससे उन्हें अन्य शहरों में भटकना न पड़े। लेकिन अस्पताल की हकीकत शासन की मंशा के ठीक विपरीत दिखाई दे रही है। यही कारण है कि जिला अस्पताल की महिला चिकित्सकों द्वारा तमाम संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद गर्भवती महिलाओं को जटिलता का हवाला देकर इंदौर रैफर किया जा रहा है।
ताजा मामला शाजापुर निवासी समरीन का है, जिन्हें जटिलता बताकर इंदौर रैफर किया गया, परंतु हैरानी की बात यह है कि समरीन का प्रसव इंदौर न जाकर शाजापुर के ही एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के माध्यम से सुरक्षित तरीके से किया गया।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि जिला अस्पताल में मौजूद चिकित्सक जानबूझकर मरीजों को रैफर कर रहे हैं, जिससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में लोगों का विश्वास डगमगा रहा है। वहीं, निजी अस्पतालों में बिना किसी विशेष परेशानी के प्रसव हो रहे हैं, जिससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर क्यों सरकारी डॉक्टर मरीजों को इंदौर भेजने पर जोर दे रहे हैं? इस तरह की कार्यप्रणाली शासन की मंशा को सीधी चुनौती देती है और करोड़ों की लागत से बने मातृ-शिशु अस्पताल के उद्देश्य पर सवालिया निशान लगाती है।
आम जनता ने शासन से मामले की गंभीरता से जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। फोन तक नही उठाते सिविल सर्जन मैना जिला मुख्यालय स्थित मातृ-शिशु स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं के सामान्य प्रसव से लेकर ऑपरेशन से प्रसव कराने के लिए तमाम साधन-संसाधन शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं जिला अस्पताल में एनेस्थीसिया के विशेषज्ञ में मौजूद हैं, लेकिन बावजूद इसके जटिलता का हवाला देकर गर्भवतियों को रैफर किया जा रहा है। महिलाओं को रैफर किए जाने को लेकर पूर्व में कलेक्टर द्वारा नाराजगी भी जताई जा चुकी है, परंतु इसके बाद भी गर्भवती महिलाओं को रैफर कर परेशान किए जाने का सिलसिला जारी है। बुधवार शाम समरीन को इंदौर रैफर किया गया जिसके बाद परिजनों ने उसका शाजापुर के निजी अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराया।
मामले को लेकर परिजनों ने सिविल सर्जन डॉ बीएस मैना और डॉ प्रशस्ती मेहता को कई बार फोन किए, किंतु उन्होने फोन नही उठाए। परिजनों का कहना है कि अस्पताल में सुविधाओं का लाभ नही देकर जिम्मेदार या तो इंदौर जाने की सलाह दे रहे हैं या फिर निजी अस्पताल जाने की बात कहते हैं। मामले में कार्रवाई किया जाना बेहद आवश्यक है।
प्रायवेट मेडिकल पर देख रही हैं मैडम जिला अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ प्रशस्ती मेहता जिला अस्पताल में सेवा देने के साथ ही प्रायवेट मेडिकल पर जाकर भी मरीजों को परामर्श देने का काम कर रही हैं। प्रायवेट क्लीनिकों पर इलाज कराने पहुंचने वाले मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी जाती है, जिस पर जिम्मेदारों का ध्यान ही नही है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मंगल नाहर