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मुरैना, 1 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश में बीते सप्ताह हुई तेज बारिश के कारण उफान पर आई नदियां अब तेजी से नीचे की ओर जा रहीं हैं। सभी नदियों का जल स्तर बीते 24 घंटों में बहुत तेजी से घटा है। चम्बल नदी का जल स्तर लगभग साढ़े तीन मीटर उतरकर पुराने पुल के नीचे राजघाट पर पहुंच गया है। वहीं जंगल की सबसे बड़ी नदी क्वारी का जल स्तर तेजी से नीचे की ओर जा रहा है। सांक व आसन नदियों का जल स्तर स्थिर बना हुआ है, इससे प्रशासन, पुलिस ने राहत की सांस ली है। हालांकि राष्ट्रीय मौसम विभाग की आगामी दो दिवस बाद तेज वर्षा की संभावना को देखते हुये सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी बनाये रखी। बाढ़ से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन ने सबसे बड़ी राहत मिली है कि इस दौरान जन व पशु की हानि सामने नहीं आई है।
मध्य प्रदेश व राजस्थान की सीमा पर लगातार हो रही बारिश के कारण मुरैना जिला के 1 सैकड़ा से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गये। एक सप्ताह के दौरान बाढ़ में सभी को गांव की ओर केन्द्रित कर दिया। मुरैना जिले में इस वर्षाकाल के दौरान 13 जून से आरंभ हुई वर्षा ने 25 जून से कोहराम बचा दिया। जिले के पगारा, कोतवाल, पिलुआ बांध जहां ओवरफ्लो थे वहीं चम्बल, क्वारी, सांक, आसन सहित जंगल की बरसाती नदी बांसुरई, कुरई, सोए व गुरहा नाला ने अपने किनारों से ऊपर उठकर गांव की ओर रूख कर लिया था। जिससे बाढ़ की चपेट में 1 सैकड़ा से अधिक गांव मजरा टोला आ गये।
जिले के पगारा बांध में पहाडग़ढ़, कैलारस व जौरा के जंगल क्षेत्र का पानी आसन नदी से होकर पहुंचा। इस बांध का ओवरफ्लो पानी कोतवाल व पिलुआ बांध तक जा पहुंचा। वहीं चम्बल नदी में 10 घंटे लगाकर 2 लाख क्यूसेक से अधिक पानी कोटा वेराज राजस्थान से छोड़ा गया। जिससे चम्बल नदी का जल स्तर 5 मीटर ऊपर आकर 133 मीटर पर पहुंच गया था। इसी दौरान राजस्थान मध्यप्रदेश की पार्वती, कालीसिंध, परबन नदियों में आये बेतहाशा उफान ने चम्बल को और अधिक ताकत दी। इन नदियों के पानी से चम्बल का जल स्तर 9 मीटर से अधिक बढक़र 142.60 मीटर पर पहुंच गया था। बीते 48 घंटों में राजस्थान मध्य प्रदेश की नदियों के जल स्तर में जबरदस्त गिरावट आई। इस कारण चम्बल नदी का जल स्तर लगभग साढ़े तीन मीटर नीचे उतर गया। आज सुबह 11 बजे चम्बल का जल स्तर 138.80 मीटर पर पहुंच गया था। जिससे पुराना पुल साफ दिखाई दे रहा था।
बाढ़ के दौरान प्रशासन द्वारा एक दर्जन से अधिक गांवों में लगभग 1500 ग्रामीणों का रेस्क्यू किया गया। यह ग्रामीण प्रशासन द्वारा स्थापित किये गये 60 में से 9 सेफ हाउस में सुरक्षित पहुंचाये गये। यहां संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा इनके भोजन व अन्य व्यवस्थायें की गई।
क्वारी के जल स्तर में भी आई तेजी से गिरावट -
चम्बलांचल के श्योपुर जिला के विजयपुर तहसील क्षेत्रान्तर्गत जंगल से निकली क्वारी नदी वर्षाकाल में अपने रोद्र रूप में दिखाई देती है। कई वर्षों के बाद इस बार क्वारी नदी के अनेक गांव के सीमाओं तक अपनी दस्तक दी। इस नदी को लेकर विशेष बात यह है कि इस नदी के आरंभ से अंत भिण्ड जिले तक एक भी बांध नहीं हैं, लेकिन इसमें जल सैलाव जिले की आसन, सांक नदियों से अधिक दिखाई देता है। मुरैना के साथ-साथ भिण्ड जिले में क्वारी नदी के रोद्र रूप से प्रशासन व ग्रामीण परेशान दिखाई दिये। विगत 24 घंटे में क्वारी नदी के जल स्तर में तेजी से गिरावट आई है। विगत दिवस सुबह से आज सुबह तक लगभग 25 फुट नीचे जल स्तर पहुंच गया है। विगत दिवस रात्रि को नेपरी पुल, कैलारस में आवागमन करने वाले लोगों को भय हो रहा था कि नदी के पानी का तेज वेग कहीं आवागमन को न रोक दें।
जुलाई माह में 40 वर्षों बाद हुई भीषण बारिश -
जिले में इस वर्ष अभी तक औसत वर्षा 706 मिमी से अधिक बारिश हो चुकी है। जिले के भू अभिलेख विभाग द्वारा 708 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। वहीं राजमाता विजयाराजे सिधिया आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र द्वारा 796 मिमी बारिश दर्ज की गई है। निर्धारित वर्षाकाल 1 जून से आरंभ होता है। इस वर्ष जिले में 13 जून से वर्षा आ हो गई थी। जब कि विगत 4 दशक में मुरैना जिले में अधिक वर्षा अगस्त माह में दर्ज की गई है। वर्षा आरंभ होने से अभी तक 49 दिवस में मात्र 7 दिवस को छोडक़र प्रतिदिन वर्षा हुई है। ऐसी वर्षा वर्ष 1986 में जुलाई माह के दौरान हुई थी। इस दौरान लगभग 600 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, लेकिन वर्तमान वर्ष में हुई बारिश ने पिछला रिकार्ड भी तोड़ दिया।
मौसम विभाग के अनुसार आगामी दो दिवस हल्की बारिश है, लेकिन उसके बाद तेज व अधिक बारिश की संभावना व्यक्त की गई है। इससे संभावना बन रही है कि जिले में वर्षा का कहर और भी निरंतर चलता रहेगा।
हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र गौतम
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हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा