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बलिया, 1 अगस्त (हि.स.)।
अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की तरह प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के बच्चों में वैज्ञानिक सोच को नई उड़ान देने के लिए एस्ट्रो लैब स्थापित किए जा रहे हैं। बलिया में बेसिक शिक्षा विभाग ने इस दिशा में पहल करते हुए सत्रह ब्लाकों के एक-एक विद्यालय में आधुनिक सुविधाओं से लैस विज्ञान प्रयोगशालाएं स्थापित कर दी है।
खगोलीय रहस्यों से अनजान सरकारी प्राइमरी स्कूलों के बच्चों के लिए जिले के सत्रह ब्लाकों के एक विद्यालय में जो एस्ट्रो लैब स्थापित किए गए हैं, उसके पीछे सीडीओ ओजस्वी राज की प्रेरणा है। उनके मार्गदर्शन में बेसिक शिक्षा विभाग ने अधिक छात्र संख्या वाले जिले के सत्रह अलग-अलग विद्यालयों में एक कक्ष सुसज्जित कर एस्ट्रो लैब के लिए दिए हैं। पीपीपी मॉडल पर इनमें खगोलीय यंत्र लगाए गए हैं। बताया जा रहा है कि बिहार और असम जैसे देश के अन्य कई राज्यों में स्कूलों में अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारी देने के लिए पहले से ही लैब स्थापित किए गए हैं। लेकिन बलिया में स्थापित किए गए सत्रह लैब कई मामलों में उनसे आधुनिक और अलग हैं। इनमें दूरबीन से लेकर कई अन्य अत्याधुनिक यंत्र लगाए गए हैं। हर ब्लाक में बनने वाली इन एस्ट्रो लैब को ‘अमृत काल लर्निंग सेंटर’ नाम दिया गया है।
इन प्रयोगशालाओं में बच्चे अब किताबों के अलावा टेलीस्कोप, वर्चुअल रियलिटी (वीआर) हेडसेट, माइक्रोस्कोप और लाइट एक्सपेरिमेंट किट्स की मदद से अंतरिक्ष और विज्ञान को भी समझ रहे हैं। इन लैबों में डाबसोनियन टेलीस्कोप, प्रकाश प्रयोग किट, मानव शरीर माडल और अन्य शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराई गई है। जहां परिषदीय विद्यालयों के बच्चे तो खगोलीय रहस्यों से रूबरू हो ही रहे हैं, अब प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी इन लैबों में आ रहे हैं। मऊ जिले के प्रतिष्ठित सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल के बच्चों ने सीयर ब्लाक स्थित स्कूल में एस्ट्रो लैब का गहन अध्ययन किया। मऊ के जयपुरिया स्कूल से आये छात्रों ने इस खगोल प्रयोगशाला में अंतरिक्ष को लेकर अपनी कई जिज्ञासाओं का समाधान किया। क्योंकि अभी तक वे अंतरिक्ष के जो रहस्य किताबों में पढ़े थे, उन्हें वास्तविक रूप में देखने का मौका मिला।
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बच्चों के शैक्षिक स्तर में होगा सुधार : बीएसए
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीष कुमार सिंह ने बताया कि परिषदीय स्कूल में स्थापित 17 खगोल प्रयोगशालाओं में विभिन्न वैज्ञानिक यंत्र स्थापित किए गए हैं। इसके माध्यम से छात्र विज्ञान और अंतरिक्ष बारीकियों की जानकारी आँखों देखी प्राप्त कर रहे हैं। इससे परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के शैक्षिक स्तर में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि इन प्रयोगशालाओं में बारी-बारी से आसपास के स्कूलों के बच्चों को लाया जाएगा। जिससे बच्चे अंतरिक्ष एवं वैज्ञानिक गतिविधियों से अवगत हो सकेंगे।
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हर लैब पर ढाई लाख का खर्च : सीडीओ
बलिया के सीडीओ ओजस्वी राज ने बताया कि एस्ट्राे लैब्स को स्थापित करने में 2.5 से तीन लाख रुपए का खर्च है। इसमें उपकरण और शिक्षकों का प्रशिक्षण भी शामिल है। इन सभी प्रयोगशालाओं को पीपीपी मॉडल पर स्थापित किया गया है। एस्ट्रो लैब के माध्यम से कम समय में ही बच्चों में जिज्ञासा और उनकी वैचारिक स्पष्टता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। अब वे सवाल पूछने लगे हैं और ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए लालायित दिख रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी