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पूर्णिया, 01 अगस्त (हि.स.)।
पूर्णिया के मरंगा गांव की रहने वाली मालती देवी और उनकी बेटी ममता कुमारी उर्फ शिम्पी बीते चार वर्षों से एक ऐसे दर्द से गुजर रही हैं, जो न्यायिक सिस्टम और समाज के दबंगों की मिलीभगत का कड़वा सच बयां करता है।
चार साल पहले बेटी की शादी और भविष्य की सुरक्षा के लिए इस मां-बेटी ने अपने पड़ोसी सुरेंद्र प्रताप सिंह पर भरोसा कर 55 लाख की भारी रकम दे दी — जिसमें 45 लाख नकद और 10 लाख बैंक ट्रांसफर शामिल थे। यह रकम एक जमीन खरीद के लिए दी गई थी। परंतु इन लोगों ने आज तक जमीन रजिस्ट्री नहीं किया और ना ही पैसे लौटाए।
समय पर रजिस्ट्री न कराने के बाद जब परिवार ने सवाल उठाए, तो सुरेंद्र सिंह ने डराने-धमकाने की चालें शुरू कर दीं। मामला थाने और कोर्ट तक पहुंचा, एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन न्याय नहीं मिला। आरोपी बेल पर बाहर है और अब खुलेआम धमकियां दे रहा है।
शिम्पी बताती हैं, चार साल से हम डर और धोखे के साए में जी रहे हैं। आरोपी कहता है – 'तुम्हारे ही पैसों से तुम्हारा केस हार दूंगा।' आरोप है कि सुरेंद्र सिंह, उसकी बेटी वंदना सिंह, दामाद दीपलेंन्दु कुमार, साथी दिलीप उरांव और पप्पू शाह ने मिलकर पूरे परिवार को आर्थिक और मानसिक रूप से तबाह कर दिया। लेन-देन की रसीदों पर डीके उरांव तथा सुरेंद्र प्रताप सिंह के हस्ताक्षर तक मौजूद हैं। शिम्पी कहती हैं, “अगर हमें कुछ भी हुआ, तो इसकी जिम्मेदारी इन्हीं पांचों लोगों की होगी।”
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हिन्दुस्थान समाचार / नंदकिशोर सिंह