भारतीय संस्कृति की पहचान है संगीत : प्रो. सुरेंद्र कुमार
गौधन सम्मान


--सरस्वती संगीतालय संगीत कला शिक्षा की ऊर्जा की भर रही उड़ान

प्रयागराज, 01 अगस्त (हि.स.)। पंचमुखी महादेव मंदिर सत्ती चौरा के प्रांगण में सरस्वती संगीतालय का 40वां स्थापना दिवस समारोह शुक्रवार को मनाया गया। मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय, संगीत प्रोफेसर डॉ सुरेंद्र कुमार ने कहा संगीत भारतीय संस्कृति की पहचान है और व्यक्ति को उसकी आत्मा से जोड़ती है।

उन्होंने कहा कि, मनुष्य के जीवन का आत्म अमृत रस की तरह है। व्यक्ति के जीवन में भावनात्मक रूप से जुड़ कर मन को आनंदित करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति से रचित संगीत देश भक्ति का प्रतीक बनकर राष्ट्र के प्रति व्यक्ति को जागृत करती है और गुलामी के काल खंड में भी संगीत राष्ट्र को आजादी दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका का निर्वाह किया है।

प्रो सुरेन्द्र कुमार ने आगे कहा कि देश के क्रान्तिकारियों और महापुरुषों ने देश भक्ति गीतों से देश की स्वतंत्रता के लिए जागरूक किया। लेकिन आज संगीत कला से जुड़ना नहीं चाहते, जो अत्यंत दुःखद है और भारतीय संस्कृति की दृष्टि से ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरस्वती संगीतालय ने संगीत कला शिक्षा की नई उर्जा की उड़ान भरी है। हम सभी को अपनी संस्कृति और संगीत कला को बचाना है और आगे बढ़ाने का संकल्प लेना है।

इस अवसर पर संगीतालय के संरक्षक अतुल खन्ना, भाजपा प्रवक्ता राजेश केसरवानी, आचार्य चन्द्रशेखर मिश्रा ने संयुक्त रूप से कहा कि संगीत कला सामाजिक राष्ट्रीय एकता को जोड़ने का काम करती है। इसलिए बच्चों को संगीत कला से जोड़ना चाहिए। इस दौरान सरस्वती संगीतालय के डायरेक्टर चंद्रकांत मालवीय ने अतीथियों का गौधन सम्मान स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और संगीतालय के 40 वर्षो का संघर्ष और इतिहास वर्णन किया।

इस अवसर पर बच्चों ने सावन महोत्सव के अंतर्गत सावन गीत का आयोजन किया। संचालन शिवम तिवारी ने किया। इस अवसर पर संगीतालय के शोभा मालवीय, कमलेश कुमार, प्रवीण मालवीय, संतोष पाण्डेय, अंकित, विमल भट्ट, अरूण शिवम, आशीष मालवीय, धुर्वे, अन्नू राज, प्रकाश तनीषा सोनकर ,सार्थक मिश्रा, प्रिन्स दुबे, शुभि दुबे, अंकित सोनकर, रत्नाकर दुबे, शिवम मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र