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-भारत भाग्य विधाता संस्था ने की तीखी निंदा, ’पंडित’ जी से परहेज क्यों?-पंडित जी के सम्मान से कोई समझौता नहीं : हर्षवर्धन बाजपेयीप्रयागराज, 09 जुलाई (हि.स.)। सिविल लाइंस स्थित शहीदवॉल पर अमर शहीदों की गाथा तो लिखी गई, लेकिन इसी वीरता की दीवार पर अब एक “नाम“ को मिटा दिए जाने को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। मामला अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद उर्फ पंडित जी का है, जिनके नाम के साथ अंकित ’पंडित जी’ शब्द को शिलापट्ट से हटा दिया गया है।शहीदवॉल की स्थापना 12 जनवरी 2015 को हुई। तत्कालीन राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने इसका उद्घाटन किया। स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सुंदरीकरण किया गया। जिसका प्रस्ताव “भारत भाग्य विधाता“ संस्थान ने किया था। शहीदवाल पर प्रयागराज के गुमनाम शहीदों को शहीदवॉल के संस्थापक वीरेन्द्र पाठक ने खोजा और उन्हे यह यहां सम्मान दिया।
अब विवाद इस बात को लेकर छिड़ गया है, कि ठेकेदार ने शिलापट्ट से ’पंडित जी’ शब्द क्यों हटाया ? और यह फैसला किसके आदेश पर लिया गया? भारत भाग्य विधाता द्वारा बार-बार पूछे जाने पर भी कोई अधिकारी इस पर बोलने को तैयार नहीं है। मजे की बात है कि इस सम्बंध में गठित तीन सदस्यीय समिति ने इस पर अपना विरोध जताया है कि बिना उनकी अनुमति के क्यों बदलाव किए जा रहे हैं। पंडित जी शब्द हटाने के साथ स्रोत के सम्बंध में निर्णय लिया गया था, उसे भी रंगा गया है।
-“क्या अधिकारी को ’पंडित’ शब्द से नफरत है?“भारत भाग्य विधाता संस्थान ने इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह सिर्फ जातीय पूर्वाग्रह नहीं बल्कि शहीद विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। संस्था के कार्यपरिषद सदस्य डॉ. प्रमोद शुक्ला की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में सभी सदस्यों ने तीखा विरोध दर्ज किया और पूछा, यह संशोधन किसके आदेश पर किया गया? क्या शहीदवॉल के लिए बनाई गई समिति ने इसकी सिफारिश की थी? क्या यह इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं है? इसके लिए राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के अपमान के सम्बंध में मुकदमा दर्ज कराया कराया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि, जब यह शहीदवॉल बनी थी, तब तत्कालीन नगर आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग की देखरेख में एक समिति गठित हुई थी। जिसमें इतिहासकार, बुद्धिजीवी शामिल थे। उसी समिति में यह नाम “चंद्रशेखर आजाद उर्फ पंडित जी“ के रूप में तय हुआ था। अब नगर आयुक्त के तबादले के बाद यह संशोधन हुआ है, जिसकी न कोई सूचना दी गई और न ही कोई स्पष्टीकरण।
संस्था ने इस कार्य को शहीद का अपमान बताते हुए कहा कि जैसे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया अपने नाम में ’पंडित’ लगाते हैं, जबकि वह ब्राह्मण जाति के नहीं हैं। वैसे ही चंद्रशेखर आजाद को उनके साथी और समकालीन क्रांतिकारी ’पंडित जी’ कहकर ही पुकारते थे। क्योंकि चंद्रशेखर आजाद ब्राह्मण जाति के थे। अगर शहीदों के नाम से कोई शब्द इसलिए हटाया जाए कि वह जातिसूचक प्रतीत होता है, तो यह मानसिकता शहीदों के सम्मान व इतिहास विरोधी है।
-सरकार सख्त कार्रवाई करेभारत भाग्य विधाता संस्था ने सरकार से माँग की है कि इस आदेश के पीछे जिन अधिकारियों की भूमिका है, उनकी जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए। इस सम्बंध में शहर उत्तरी के विधायक हर्षवर्धन बाजपेई ने कहा कि पंडित चंद्रशेखर आजाद का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हर हालत में उनका सम्मान बरकरार रहेगा। इसके लिए चाहे जितनी लड़ाई लड़नी पड़े, हम सब लड़ेंगे। पंडित जी हमारे गौरव और आदर्श हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र