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जैन संतों-साध्वीवृंदों का विधिवत चातुर्मास प्रारंभ, पांच नवंबर तक चलेगा
जोधपुर, 9 जुलाई (हि.स.)। तप, जप, ज्ञान, ध्यान, आराधना-साधना का पारंपरिक आत्म कल्याण का चार माह का जैन धर्म का महान पर्व चातुर्मास शुरू हो गया है। इसके साथ ही सूर्यनगरी में विभिन्न स्थानों पर जैन धार्मिक स्थलों, मंदिरों और उपासरों में जैन संतों, मुनियों और साध्वीवृंदों चातुर्मासिक प्रवचन शुरू हो गए है।
जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पर्व चातुर्मास बुधवार से आरंभ हो गए हैं। आषाढ़ सुदी चतुर्दशी व पूर्णिमा से प्रारंभ होकर यह चातुर्मास कार्तिक पूर्णिमा पांच नवंबर तक चलेगा।
इस अवधि में मूर्तिपूजक, स्थानकवासी, तेरापंथी सहित सभी जैन संप्रदायों के आचार्य, साधु-साध्वी एवं श्रावक आत्मशुद्धि, साधना और सेवा के इस पर्व में भाग लेंगे। चातुर्मासिक काल में भैरू बाग तीर्थ में विराजित साध्वी अर्चितगुणाश्री द्वारा गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में विशेष प्रवचन दिया जाएगा। तीर्थ के प्रवक्ता दिलीप जैन एवं सचिव जगदीश गांधी ने बताया कि इस अवसर पर गुरुवर्या द्वारा गुरु तत्व तुं तीर्थ तुं पर प्रात: 9.15 बजे से विशेष प्रवचन देते हुए गुरु महिमा गुणगान सहित गुरु भक्ति की जाएगी। इसके पश्चात संघ द्वारा सामूहिक खीर के एकासन का आयोजन भी रखा जाएगा।
वहीं बुधवार से प्रारंभ हुई चातुर्मासिक प्रवचनमाला के प्रथम दिन धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी अर्चितगुणाश्री ने कहा कि सामयिक संभाव में रहने की अमूल्य साधना है। साधना अल्पावधि की एवं फल बड़ा है। उन्होंने कहा सद्बुद्धि एवं सद्गुण चातुर्मास में प्राप्त करने योग्य है। यदि ये गुण जीवन में आ जाए तो विपरीत परिस्थिति से भी उभरा जा सकता है। उन्होंने कहा कि चातुर्मास वीतरागता की अनूठी पाठशाला है।
गुरुवर्या ने लर्निंग, अर्निंग, टर्निंग एवं बर्निंग की व्याख्या करते हुए कहा कि हमें चातुर्मासिक पाठशाला में दाखिला लेकर बहुत कुछ सीखना है। धर्म करके पुण्य कमाना है। अपनी जीवन की गाड़ी को मोडऩा है। ओर हमारे पापों को जलाते हुए दुर्गुणों की विदाई करते हुए सद्गुणों की अगुवाई करनी है। तीर्थ के अध्यक्ष गणेश भंडारी एवं सह सचिव सुनील सिंघवी ने बताया कि धर्म सभा में पर 45 जिनागम (सूत्र) वहराने का चढ़ावा बोला गया। जिसका लाभ कैलाश, प्रमिला, अंकित एवं भाविका पटवा ने लिया। वहीं 5 ज्ञान पूजाओं सहित अष्ट प्रकारी पूजन का चढ़ावा भी बोला गया। धर्म सभा में आदेश्वर कोचर, प्रदीप खिंवसरा, मांगीलाल वडेरा, कैलाश मेहता, वीरेंद्र तातेड, कैलाश पटवा, ललित सुंदेशा, कैलाश मोहनोत एवं सुपार्श्व भंसाली सहित बड़ी तादाद में श्रद्धालु उपस्थित थे।
वहीं तपागच्छ संघ रत्नप्रभ धर्म क्रिया भवन में चातुर्मास की आराधना जैनाचार्य विश्वरत्नविजय व साध्वी क्षीणमोहाश्री के सानिध्य में बुधवार को शुरू हुई। संघ प्रवक्ता धनराज विनायकिया ने बताया सुबह धर्मसभा में प्रवचन हुए।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश