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शिमला, 09 जुलाई (हि.स.)। केंद्र सरकार की कथित श्रमिक विरोधी नीतियों और लेबर कोड्स के खिलाफ बुधवार को राजधानी शिमला में किसान-मजदूर संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। पंचायत भवन से चौड़ा मैदान तक रैली निकाली गई और जनसभा कर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला गया।
यह आंदोलन देशभर की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किया गया था। हिमाचल में यह प्रदर्शन सीटू और हिमाचल किसान सभा के नेतृत्व में हुआ। सैंकड़ों मजदूरों और किसानों ने इसमें भाग लिया। आईजीएमसी, केएनएच, नगर निगम, होटल, आंगनबाड़ी, आउटसोर्स, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के मजदूरों ने पूर्ण हड़ताल की, जिससे शिमला में कई सेवाएं ठप रहीं।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और किसान सभा अध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर ने कहा कि लेबर कोड्स से मजदूरों का शोषण बढ़ेगा। इससे न केवल हड़ताल के अधिकार छीने जाएंगे, बल्कि पक्की नौकरियों की जगह ठेकेदारी और फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। मजदूरों से 8 की जगह 12 घंटे काम करवाने का रास्ता खुलेगा।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि मजदूरों के लिए 26,000 रुपये न्यूनतम वेतन तय किया जाए, सभी असंगठित मजदूरों को पेंशन मिले, आंगनबाड़ी, आशा और मिड डे मील कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए और लेबर कोड्स व बिजली संशोधन विधेयक को रद्द किया जाए।
इस हड़ताल को जनवादी महिला समिति, एसएफआई, डीवाईएफआई, दलित शोषण मुक्ति मंच, पेंशनर संघ, एआईएलयू, जन विज्ञान आंदोलन समेत कई संगठनों का समर्थन मिला। किसानों ने भी देहात बंद कर हड़ताल में भाग लिया।
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि सरकार मजदूरों को गुलाम बनाने पर तुली है, जबकि सार्वजनिक संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा