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जयपुर, 9 जुलाई (हि.स.)। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साईं ट्रस्ट जिले में स्थित 'प्रशांति निलयम' में 'सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए मानव मूल्य' विषयक संगोष्ठी में भाग लिया।
इस दौरान उन्होंने श्री सत्य साईं केन्द्रीय ट्रस्ट की संगोष्ठी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सामंजस्यपूर्ण जीवन की नींव अध्यात्म की सुदृढ भारतीय परम्परा पर खड़ी है। भारतीय परम्परा में अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीवन जीने को महान कहा गया है। उन्होंने श्री सत्य साईं का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने अध्यात्म के उन मूल्यों को जिया जिसमें दीन दुखियों के लिए सोच रखकर कार्य करने को ही ईश्वर की सर्वोत्तम सेवा माना गया है।
राज्यपाल ने कहा कि जब हम निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करते हैं, तभी हम ईश्वर के करीब आते हैं। उन्होंने अध्यात्म की भारतीय परम्परा पर चर्चा करते हुए कहा कि अध्यात्म धर्म नहीं है। अध्यात्म का अर्थ है अपने आपको जानना। उन्होंने कहा कि अध्यात्म मानवीय मूल्यों से और सेवा कार्य से जोड़ने की हमें सीख देता है। उन्होंने नर सेवा को ही नारायण सेवा बताते हुए कहा कि सनातन संस्कृति जीवन के उदात्त मूल्यों पर जोर देती है। इसमें आपदा के समय मनुष्यता को बचाने और प्राणियों के कल्याण को ही सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश