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जम्मू, 9 जुलाई (हि.स.)। नए अधिनियमित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत एक ऐतिहासिक कार्रवाई में जम्मू पुलिस ने एक हाई-प्रोफाइल नौकरी धोखाधड़ी मामले में अपनी पहली संपत्ति कुर्क करने में सफलता प्राप्त की है जिसके परिणामस्वरूप पीड़ितों को 75 लाख की वसूली और वापसी हुई है। यह उपलब्धि भारत के नए आपराधिक न्याय सुधारों में निहित पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाती है।यह जानकारी जम्मू के एसएसपी ने आज यहां दी।
उनहाेंने बताया कि यह मामला पल्लनवाला निवासी हरप्रीत सिंह के इर्द-गिर्द घूमता है जिसने खुद को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बताया और एमईएस, रक्षा मंत्रालय और डीआरडीओ जैसे प्रतिष्ठित सरकारी संस्थानों में नौकरी का झूठा वादा करके कई लोगों से 2.39 करोड़ से अधिक की ठगी की। यह धोखाधड़ी तब सामने आई जब नगरोटा निवासी अरुण शर्मा ने 6 नवंबर 2024 को शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद जम्मू के नगरोटा पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 319(2), 318(4), 336(2), 336(3), 338 और 340(2) के तहत एफआईआर संख्या 293/2024 दर्ज की गई। आरोपी को अगले दिन गिरफ्तार कर लिया गया।
जाँच से पता चला कि कमलजीत कौर (सुरेन्द्र की पत्नी) और आरोपी की माँ परमजीत कौर के बीच चन्नी भेज तहसील बहू फोर्ट जम्मू में 08 मरला ज़मीन पर बने डबल स्टोरी डुप्लेक्स भवन की खरीद के लिए 2 करोड़, 22 लाख और 50 हज़ार का बिक्री समझौता हुआ था। इसके अलावा सुरेन्द्र सिंह (सह-आरोपी) और उसकी पत्नी ने ऑनलाइन लेनदेन और नकद के माध्यम से आरोपी हरप्रीत से 1,93,50,000/- की राशि प्राप्त की थी। आरोपी हरप्रीत सिंह द्वारा भुगतान की गई राशि सरकारी नौकरी प्रदान करने के बदले में निर्दोष पीड़ितों से एकत्रित अपराध की आय थी।
पुलिस की याचिका पर कार्रवाई करते हुए माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जम्मू ने 18 जनवरी 2025 को धारा 107(5) बीएनएसएस के तहत एक कुर्की आदेश पारित किया जिसे तहसीलदार बहू द्वारा निष्पादित किया गया। लेन-देन में प्रयुक्त धन के स्रोत को उचित ठहराने के लिए अभियुक्त को 14 दिनों का कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था अन्यथा संपत्ति की नीलामी की जानी थी।
अदालती कार्यवाही के दौरान जाँच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत ठोस साक्ष्यों के आधार पर कमलजीत कौर ने न्यायिक रूप से स्वीकार किया कि उन्हें अभियुक्तों से 1.53 करोड़ मिले थे। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में उन्होंने स्वेच्छा से प्रारंभिक राशि वापस करने पर सहमति व्यक्त की और 7 दिनों के भीतर 50 लाख और शेष 1.03 करोड़ दो महीनों के भीतर जमा करने का वचन दिया। इसके अलावा, 40,50,000 की राशि जो विवादित राशि है केवल मुकदमे के दौरान ही साबित हो सकती है।
माननीय न्यायालय ने निर्णय दिया कि कुर्की आदेश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि स्वीकृत राशि पूरी तरह से जमा नहीं हो जाती। इसने विक्रेता को संपत्ति में किसी भी तीसरे पक्ष का हित स्थापित करने से भी प्रतिबंधित कर दिया। एसएसपी जम्मू को बरामद धनराशि को सत्यापित पीड़ितों के बीच एकत्रित और वितरित करने के लिए एक समर्पित खाता खोलने का निर्देश दिया गया।
आज बरामद 75 लाख की राशि 17 पीड़ितों के बीच चेक के माध्यम से बराबर-बराबर वितरित कर दी गई। यह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बीएनएसएस के तहत धोखाधड़ी से प्राप्त धन को पीड़ितों को वापस करने का पहला मामला है, जो न्याय, जवाबदेही और क्षतिपूर्ति पर कानून के फोकस का उदाहरण है।
इस मामले की जाँच नगरोटा के थाना प्रभारी निरीक्षक परवेज़ सज्जाद ने डीएसपी विनोद कुंडल (एसडीपीओ नगरोटा) की देखरेख में की जिसकी संपूर्ण निगरानी एसपी ग्रामीण बृजेश शर्मा (जेकेपीएस) और एसएसपी जम्मू श्री जोगिंदर सिंह (जेकेपीएस) ने की। कानूनी सहायता वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अल्ताफ वाहिद, डीपीओ जम्मू द्वारा प्रदान की गई और वित्तीय विशेषज्ञता लेखा अधिकारी कमल भगत द्वारा प्रदान की गई।
यह सफलता आर्थिक अपराधों से निपटने और जनता का विश्वास बहाल करने के लिए एक मजबूत कानूनी और प्रशासनिक संकल्प को दर्शाती है। यह बीएनएसएस के तहत भविष्य के प्रवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करती है और एक अधिक उत्तरदायी और पीड़ित-उन्मुख आपराधिक न्याय प्रणाली के उभरते ढांचे को दर्शाती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह