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रायगढ़ , 9 जुलाई (हि.स.)।फ्लाई ऐश के गलत और अवैध निपटान की भारी कीमत अब न सिर्फ़ पर्यावरण बल्कि बेजुबान जीवों को भी चुकानी पड़ रही है। कोड़ातराई-पुसौर मार्ग पर एक बेजुबान गौमाता जहरीली राख की दलदल में फंस गई, जिसे युवाओं की मदद से घंटों की मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया।
थर्मल प्लांट्स से निकलने वाली फ्लाई ऐश का वैज्ञानिक तरीके से निपटान अनिवार्य है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। स्थानीय क्षेत्रों में इसे अवैध रूप से खुले में फेंकना, मिट्टी-रेत से ढँककर छुपा देना और खेतों, सड़क किनारे बगैर अनुमति के डंप करना आम हो चला है। कोड़ातराई मार्ग पर भी यही हुआ – जहां जलभराव के चलते राख दलदल बन गई और उसी दलदल में एक गाय घंटों तक फंसी रही।
इस घटना में कोड़ातराई के युवाओं ने खुद सामाजिक दायित्व निभाते हुए तीन घंटे की कड़ी मशक्कत में मवेशी की जान बचाई।
सैकड़ों वाहन रोज इस मार्ग से गुजरते हैं – जिनमें अधिकारी, ठेकेदार, जनप्रतिनिधि, सभी शामिल हैं। लेकिन किसी ने भी इस दलदली राख और तड़पती जानवर की हालत को रोकने की कोशिश नहीं की। सवाल उठता है कि आखिर कब तक यह चुप्पी जारी रहेगी? क्या पर्यावरण को यूँ ही
हिन्दुस्थान समाचार / रघुवीर प्रधान