सहकारी समितियां बनेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ : मंत्री धन सिंह रावत
मंत्री बोले- राज्य की योजनाओं का राष्ट्रीय स्तर पर हो रही सराहना - सहकार मंथन-2025 में आत्मनिर्भर उत्तराखंड को लेकर हुई चर्चा देहरादून, 08 जुलाई (हि.स.)। सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने सहकारिता के माध्यम से उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने के संकल
सहकारिता मंथन-2025 कार्यक्रम में विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत।


मंत्री बोले- राज्य की योजनाओं का राष्ट्रीय स्तर पर हो रही सराहना

- सहकार मंथन-2025 में आत्मनिर्भर उत्तराखंड को लेकर हुई चर्चा

देहरादून, 08 जुलाई (हि.स.)। सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने सहकारिता के माध्यम से उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सहकारी समितियां रीढ़ बनेगी। सहकारिता क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना और युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए अवसर सृजित करना है। सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के उपलक्ष्य में देहरादून स्थित भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) में दो दिवसीय कार्यशाला सहकार मंथन-2025 के शुभारंभ के मौके पर यह बातें कही। कार्यशाला के दौरान सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण, ऋण वितरण प्रणाली में सुधार, और ग्रामीण उत्पादों के विपणन जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई।

मंत्री ने केंद्र सरकार की ओर से सहकारिता मंत्रालय की स्थापना (वर्ष 2021) के बाद राज्यों को इस क्षेत्र में नई ऊर्जा और दिशा मिली है। मंत्री ने बताया कि हाल ही में हुई केंद्रीय बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि हर 300-400 ग्रामीण जनसंख्या या दो-तीन गांवों के समूह के लिए एक बहुउद्देश्यीय सहकारी समिति (मल्टीपर्पज़ कोऑपरेटिव) गठित की जा सकती है,जिससे 670 एम-पैक्स को और अधिक मजबूत किया जा सके। उन्होंने कहा, “सहकार मंथन केवल भाषणों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। सहकारी समितियों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनाकर अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को लाभ पहुंचाना हमारा उद्देश्य है।”

मंत्री ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने 2017 से आईबीपीएस प्रणाली के माध्यम से सहकारी बैंकों में पारदर्शी और मेरिट-आधारित भर्तियां प्रारंभ कीं। इसके उदाहरण का अनुसरण अब छह अन्य राज्य कर रहे हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि हर 15 दिन में जिला स्तरीय समीक्षा बैठकें आयोजित की जाएं ताकि ग्रामीण क्षेत्रों की सहकारी समितियों की प्रगति का मूल्यांकन किया जा सके।

कार्यक्रम में बताया गया कि उत्तराखंड की मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की देशभर में सराहना हो रही है और कई राज्य इसे अपनाने की प्रक्रिया में हैं। सहकार मंथन-2025' कार्यशाला का आयोजन उत्तराखंड में सहकारिता क्षेत्र को नई दिशा प्रदान करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मंच सहकारी समितियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार-मंथन करने और नवीन समाधानों को लागू करने का अवसर प्रदान करेगा।

मंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय का लक्ष्य उत्तराखंड को सहकारी क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाना है। उन्होंने सभी हितधारकों से एकजुट होकर कार्य करने और ग्रामीण भारत के सपनों को साकार करने का आह्वान किया। यह कार्यशाला न केवल सहकारिता के महत्व को रेखांकित करती है, बल्कि उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि और आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिखने का संकल्प भी व्यक्त करती है।

कार्यशाला में प्रो.अरुण कुमार त्यागी ने सहकारी समितियों द्वारा संचालित नर्सरियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इन्हें ग्रामीण आय और पर्यावरण संरक्षण का साधन बताया।

तकनीकी सत्रों और नवाचार पर चर्चा

मेहरबान सिंह बिष्ट (निबंधक सहकारिता) ने आईटी व डिजिटलीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक पंकज तिवारी ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की जानकारी दी और पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। डॉ. नवीन आनंद,अनुराग डंग (एनएसयूआई), और अन्य विशेषज्ञों ने सहकारिता में नवाचार पर विचार साझा किए।

ईरा उप्रेती (अपर निबंधक) ने 61 बिंदुओं की गैप एनालिसिस प्रस्तुत की।

आनंद शुक्ल (अपर निबंधक) ने उत्तराखंड कोऑपरेटिव इनोवेटिव गेम चेंजर के रूप में प्रस्तुत किया।कार्यक्रम का सफल संचालन संयुक्त निबंधक मंगला त्रिपाठी की ओर से किया गया।

कार्यशाला में सहकारिता सचिव डॉ. वीबीआरसी पुरुषोत्तम, निबंधक डॉ. मेहरबान बिष्ट, नाबार्ड, मत्स्य, डेयरी, सहकार भारती के प्रतिनिधि, बैंकिंग क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी और केंद्र सरकार के सहकारिता मंत्रालय से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया। राज्य के विभिन्न जिलों से आए सहकारी प्रतिनिधि और ग्रामीण हितधारक भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार