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-कर्बला सच्चाई का प्रतीक है: मौलाना तहजीबुल हसन
रांची,06 जुलाई (हि.स.)। 10वीं मुहर्रम के मौके पर पूरी दुनिया में इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद किया जाता है। इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में तीन दिन के भूखे प्यासे शहीद कर दिए गए थे। उसी शहादत की याद में पूरी दुनिया के मुसलमान और मानवतावादी इमाम हुसैन को याद करते हैं।
उक्त बातें झारखंड वक्फ बोर्ड के सदस्य और रांची मस्जिद जाफरिया के इमाम हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन रिजवी ने कहीं। वे रविवार को मस्जिद जाफरिया में 10वीं मुहर्रम की मजलिस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर आज कर्बला नहीं होता तो लोगों में सच्चाई के रास्ते पर शहादत का जज्बा नहीं पाया जाता। कर्बला लोगों में सच्चाई और ईमानदारी पैदा करने का नाम है। कर्बला में इंसानियत को जगाया और यह संदेश दिया गया कि सच्चाई के लिए शहादत लेना कायरता नहीं बल्कि बहादुरी है। कर्बला के मैदान के एक तरफ मुआविया के बेटे यजीद था, तो दूसरी तरफ अली के बेटे इमाम हुसैन थे।
उन्होंने कहा कि अली के बेटे हुसैन ने सच्चाई और इंसानियत की रक्षा के लिए तीन दिनों तक भूखे-प्यासे रहकर अपनी जान कुर्बान कर दी और मुआविया के बेटे यजीद को यह बता दिया कि सच्चाई और इंसाफ पर जान देने वालों की कभी हार नहीं होती। आज यह जुलूस हुसैन की जीत का प्रतीक है। अंजुमन जाफरिया की ओर से मस्जिद जाफरिया से निकाला गया यह जुलूस विक्रांत चौक, चूना मंदिर, चर्च रोड, टैक्सी स्टैंड, डेली मार्केट थाना, उर्दू लाइब्रेरी, अंजुमन प्लाजा, डॉ फतहउल्लाह रोड होते हुए कर्बला पहुंचा। जुलूस में सभी धर्मों और संप्रदायों के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
इस मौके पर नोहा खानी कासिम अली, अबुजर अली, गुलाम हुसैन, गुलाम, अमीर गोपाल पुरी, असगर इमाम रिजवी ने पढ़ी। इस मौके पर सागर कुमार, जय सिंह यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के महासचिव अकील-उर-रहमान उनकी पूरी टीम, मो इस्लाम, इमाम बख्श अखाड़ा खलीफा मो महजूद, धौताल अखाड़ा खलीफा पप्पू गद्दी, लीलू अली अखाड़ा खलीफा सज्जाद, भाजपा नेता तारिक, सुहेल सईद, सैयद निहाल अहमद सहित अन्य शामिल थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे