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--बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में जबरन भेजने का षडयंत्र तो नहीं
लखनऊ, 04 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग के तहत आने वाले कम छात्र संख्या के प्राइमरी स्कूलों को बंद करने के निर्णय का चहुंओर विरोध हो रहा है। राजनीतिक दलों के अलावा शिक्षा क्षेत्र से जुड़े शैक्षणिक संगठन, सामाजिक व धार्मिंक संगठन भी सरकार के युग्मन योजना का विरोध कर रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अम्बरीश सिंह ने भी सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठाया है।
अम्बरीश सिंह ने कहा कि शिक्षा वह भी प्राथमिक, व्यापार है क्या जो उसे आर्थिक हानि लाभ के तराजू से तौला जा रहा है। एक मतदाता के लिए यदि पोलिंग बूथ हो सकता है तो 5 से 10 बच्चों के लिए विद्यालय क्यों नहीं ?
विहिप प्रवक्ता ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में प्राइमरी स्कूल बन्द किए जा रहे हैं। क्या हुआ स्कूल चलें हम अभियान का ? क्या उत्तर प्रदेश शत प्रतिशत साक्षर हो गया ? जो बच्चे प्राइमरी पाठशाला में जाते हैं उन्हें कुकुरमुत्तों की तरह उगे तथाकथित कॉन्वेंट स्कूल में जबरन भेजने का यह षडयंत्र तो नहीं है ?
अम्बरीश सिंह ने कहा कि गांव के अभाव ग्रस्त परिवारों के बालकों के शिक्षा के एकमेव साधन हैं प्राइमरी स्कूल। उनके शिक्षा का स्तर गांवों में चलने वाले कुटीर उद्योग के समान प्राइवेट स्कूलों से काफी ठीक है फिर यह तुगलकी निर्णय क्यों ? किसने लिया यह निर्णय ? अफसरशाही ने ? जिनका इन विद्यालयों से कोई लेना देना नहीं और न ही इन्हें इनकी उपादेयता का ज्ञान है क्योंकि यह उनके जीवन से जुड़े ही नहीं हैं। शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक बच्चे का अधिकार और उसे उपलब्ध कराना कल्याणकारी शासन का कर्तव्य है। विहिप प्रवक्ता ने कहा कि इस विषय पर राजनीतिक दल विशेषतः शासक दल के आत्ममुग्ध नेताओं और जन प्रतिनिधियों की चुप्पी दुखद और आश्चर्यजनक है, हो भी क्यों न, अब वो जमाना गया जब सबके बच्चे प्राइमरी स्कूल में पढ़ा करते थे। इन श्रीमान वर्ग को स्कूल बन्द होने की पीड़ा आखिर क्यों होगी ? जाके पांव न फटी बेवाई, ये क्या जाने पीर पराई जो हो रहा है वह अच्छा नहीं हो रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन