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नई दिल्ली, 4 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को कहा कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के अनुयायी चाहते हैं कि वे स्वयं अपने उत्तराधिकारी का चयन करें। रिजिजू ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका यह बयान सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर नहीं बल्कि एक बौद्ध अनुयायी के तौर पर है।
रिजिजू ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में यह बातें कही। उन्होंने कहा, “मैं दलाई लामा का भक्त हूं। दुनिया में जो भी लोग दलाई लामा को मानते हैं, वे चाहते हैं कि उनके उत्तराधिकारी का चयन वे स्वयं करें। इसमें किसी भ्रम की आवश्यकता नहीं है। इसमें सरकार या मेरी ओर से कुछ कहने की जरूरत नहीं है।”
इससे पहले उनके तिब्बती धर्मगुरु के उत्तराधिकार को लेकर दिए बयान पर चीन ने प्रतिक्रिया दी थी। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था कि भारत को तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर सावधानी से व्यवहार करना चाहिए और चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को तिब्बत के मामलों पर अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए और भारत-चीन संबंधों के सुधार और विकास पर असर डालने वाले बयानों से बचना चाहिए।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री रिजिजू ने आज हज 2026 की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह के भीतर आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी लोग समय पर आवेदन करें ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न हो। सऊदी सरकार ने कई सख्त समय-सीमाएं तय की हैं। वे टूर ऑपरेटरों को निर्देश दे रहे हैं कि वे समयसीमा का पालन करें।
उल्लेखनीय है कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर चीन चाहता है कि उनका चयन उसके अनुसार हो। वहीं तिब्बती समुदाय इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मानता है। भारत में रहने वाले दलाई लामा के अनुयायी, तिब्बती निर्वासित सरकार और वैश्विक बौद्ध समुदाय दलाई लामा द्वारा उत्तराधिकारी के चयन की प्रक्रिया को ही मान्यता देते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा