डीएपी की किल्लत से किसान परेशान, निजी दुकानों पर महंगे दामों में खरीदने को मजबूर
- सहकारी समितियों पर खाद नदारद, निजी दुकानदार 1600 में बेच रहे डीएपी की बोरी मीरजापुर, 4 जुलाई (हि.स.)। क्षेत्र में हुई झमाझम बारिश के बाद किसान धान की रोपाई में जुट गए हैं, लेकिन समय पर डीएपी खाद न मिलने से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। सहकारी समितियो
डीएपी की किल्लत से किसान परेशान, निजी दुकानों पर महंगे दामों में खरीदने को मजबूर


- सहकारी समितियों पर खाद नदारद, निजी दुकानदार 1600 में बेच रहे डीएपी की बोरी

मीरजापुर, 4 जुलाई (हि.स.)। क्षेत्र में हुई झमाझम बारिश के बाद किसान धान की रोपाई में जुट गए हैं, लेकिन समय पर डीएपी खाद न मिलने से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। सहकारी समितियों पर डीएपी उपलब्ध न होने के कारण किसानों को निजी दुकानों का रुख करना पड़ रहा है, जहां उन्हें प्रति बोरी 1600 की दर से खाद खरीदनी पड़ रही है।

पिछले कई वर्षों से बारिश की कमी और सूखे की मार झेल रहे किसानों के लिए इस बार समय से हुई बारिश राहत लेकर आई, लेकिन अब खाद की किल्लत उन्हें परेशान कर रही है। किसान सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं, पर वहां डीएपी नदारद है। मजबूरन उन्हें महंगे दामों में निजी दुकानों से खाद खरीदनी पड़ रही है।

राजगढ़ क्षेत्र के किसान अंजनी सिंह, प्रेमनाथ सिंह, कैलाश मौर्य व कृपाशंकर सिंह ने बताया कि हर साल रोपाई के समय यही समस्या आती है। समितियों पर खाद का अभाव रहता है, जिससे समय पर डीएपी का छिड़काव नहीं हो पाता और फसल की पैदावार प्रभावित होती है। किसानों का कहना है कि सरकार एक ओर जहां किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर समय पर खाद न मिलने से उनकी लागत बढ़ जाती है और फसल का नुकसान होता है।

निजी दुकानों पर बेखौफ कालाबाजारी

किसानों ने आरोप लगाया कि क्षेत्र के निजी खाद विक्रेता बिना किसी रोक-टोक के मनमाने दाम वसूल रहे हैं। 1200 से 1300 वाली डीएपी बोरी अब 1600 में बेची जा रही है। इससे पहले से आर्थिक तंगी झेल रहे किसान और परेशान हैं।

अधिकारियों का दावा, जल्द मिलेगा समाधान

इस संबंध में ददरा हिनौता सहकारी समिति के सचिव विजयानंद दुबे ने बताया कि समिति पर यूरिया और अन्य खाद उपलब्ध है, लेकिन डीएपी की आपूर्ति नहीं हो सकी है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही डीएपी खाद आ जाएगी और उसे किसानों में वितरित किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा