दलाई लामा पद आस्था और विश्वास से जुड़ा, भारत का इस पर कोई मत नहीं
नई दिल्ली, 4 जुलाई (हि.स.)। भारत ने स्पष्ट किया है कि अगले दलाई लामा को लेकर उसका कोई मत नहीं है। यह धार्मिक विषय है और भारत धार्मिक स्वतंत्रता का पक्षधर है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि हमने दलाई लामा स
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (MEA Spokesperson Randhir Jaiswal )


नई दिल्ली, 4 जुलाई (हि.स.)। भारत ने स्पष्ट किया है कि अगले दलाई लामा को लेकर उसका कोई मत नहीं है। यह धार्मिक विषय है और भारत धार्मिक स्वतंत्रता का पक्षधर है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि हमने दलाई लामा संस्था के जारी रहने पर पूज्य दलाई लामा की ओर से आए वक्तव्य से जुड़ी रिपोर्टों को देखा है। भारत सरकार आस्था और धर्म से जुड़ी हुई प्रथाओं और विश्वासों पर कोई मत नहीं रखती और ना ही उन पर कुछ कहती है। भारत सरकार हमेशा से सभी की धार्मिक स्वतंत्रता के सम्मान की पक्षधर है और आगे भी ऐसा करती रहेगी।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में 14वें दलाई लामा (तेनजिन ग्यात्सो) की ओर से एक बयान आया है। इसमें उन्होंने साफ कहा है कि उनके उत्तराधिकारी यानी 15वें दलाई लामा का चयन केवल तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार होगा और इसमें चीन की कोई भूमिका नहीं होगी। वहीं चीन चाहता है कि उसके अनुसार अगले दलाई लामा का चयन हो। 600 वर्षों से चली आ रही धार्मिक परंपरा में चीन हस्ताक्षेप करना चाहता है।

इस मुद्दे पर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू का भी बयान आया था। इसके बाद चीन की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई थी जिसमें चेतावनी दी गई थी। हालांकि रिजिजू ने स्पष्ट किया था कि उनका बयान एक बौद्ध अनुयायी के तौर पर था न कि भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर। उन्होंने कहा कि दलाई लामा के अनुयायी चाहते हैं कि वे स्वयं अपने उत्तराधिकारी का चयन करें।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा