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गाजियाबाद, 4 जुलाई (हि.स.)। कस्बा डासना से लापता अब्दुल वाहिद की हत्या प्रेम सम्बन्धों के कारण की गई थी। उसकी हत्या उसकी प्रेमिका ने अपने पति के साथ मिलकर की थी। पुलिस ने पति-पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है। उनके कब्जे से घटना में प्रयुक्त पाइप का टुकड़ा, शव को छुपाने के लिए प्रयोग में लायी गयी वैगनआर कार व मृतक की टीवीएस मोपेड बरामद की गई है ।
25जून को अब्दुल वाहिद वार्ड 11 एक मिनार मस्जिद डासना के पुत्र हामिद ने थाना वेवसिटी पर अपने पिता अब्दुल वाहिद के गुम हो जाने के सम्बन्ध में गुमशुदगी दर्ज करायी गयी थी। 28 जून को अब्दुल वाहिद का शव बरामद हुआ था। थाना क्षेत्र जहाँगीराबाद जनपद बुलन्दशहर में हामिद ने शिनाख्त करने पर अपने पिता की अज्ञात लोगों द्वारा हत्या कर देने एवं शव को थाना जहाँगीराबाद क्षेत्र जनपद बुलन्दशहर में डाल देने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
एसीपी प्रियांशी पाल ने बताया कि वाहिद की हत्या के आरोप में प्रियंका व उसके पति अमित चौधरी निवासी माेहल्ला नेहरु गंज अनूपशहर थाना अनूपशहर जिला बुलन्दशहर को गिरफ्तार किया। वह सीएनजी पेट्रोप पम्प के पास मधुबन बापूधाम जनपद गाजियाबाद में रहते हैं।
प्रियंका ने पुलिस को बताया कि अब्दुल वाहिद जो डासना का रहने वाला था उनसे मेरा पूर्व से परिचय था। उसका मेरे घर आना-जाना था ।उससे मेरे सम्बन्ध थे। यह बात मेरे पति को पता चल गयी थी तो पति ने मुझसे कहा कि तू अब्दुल वाहिद से सम्बन्ध खत्म कर ले। उसे यहाँ नहीं आना चाहिए। इसके बाद मैंने अब्दुल वाहिद से अपने घर पर आने से मना कर दिया था लेकिन 24जून को मना करने बाद भी अब्दुल वाहिद मेरे घर आ गया था। मैंने उससे जाने के लिए कहा तो वह नहीं माना। जिसके बाद मैंने अपने पति अमित को फोन करके बुला लिया था तो मेरे पति ने आकर अब्दुल वाहिद से कहा कि तुम यहाँ से चले जाओ, वर्ना अच्छा नहीं होगा लेकिन वह मेरे पति से बहस करने लगा,तो मेरे पति ने कहा कि मार इसको तो मैंने अपने कमरे में रखे लोहे के पाइप का टुकड़ा उठाकर अब्दुल वाहिद के सिर पर मार दिया जिससे वह वहीं मर गया था।
हम दोनों ने बचने के लिए उसकी विक्की मोपेड को ले जाकर थोड़ी दूरी पर गोविन्दपुरम वाले रास्ते पर झाड़ियों में खडी कर दी और शाम होने पर हम दोनों ने उसकी लाश को चादर में लपेटकर मेरे पति जो टैक्सी की गाड़ी चलाते हैं, उस गाड़ी में रखकर हम अपने घर अनूपशहर की ओर निकल गये और हमने अब्दुल वाहिद के फोन को रास्ते में जाते समय सिकन्द्राबाद के पास सडक किनारे चलती गाड़ी से घास में फेंक दिया था और अब्दुल वाहिद के शव को रास्ते में अंधेरा होने पर जहाँगीराबाद से पहले सड़क किनारे गाड़ी रोककर सूनसान जगह पर झाड़ियों में फेंक दिया और हम अनूपशहर अपने घर पर चले गये। हम दोनों बचते-बचाते घूम रहे थे । जब हमें लगा कि हम बच गए हैं तो हम अपने घर बापूधाम वापस आ गए थे।
हिन्दुस्थान समाचार / फरमान अली