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राजगढ़, 31 जुलाई (हि.स.)। प्रधानमंत्री काॅलेज आफ एक्सीलेंस शासकीय स्नातकोत्तर महाविधालय राजगढ़ में हिन्दी विभाग एवं स्वामी विवेकानंद कैरियर के मार्गदर्शन में हिन्दी साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की 145 वी जयंती के उपलक्ष्य में गुरुवार को एकदिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर अशोककुमार शर्मा मौजूद रहे साथ ही अध्यक्षता महाविधालय प्राचार्य डाॅ.विपिन खरे ने की।
कार्यक्रम में हिन्दी साहित्यकार प्रेमचंद के जीवन दर्शन एवं साहित्य पर अपने बीज शब्द रखते हुए डाॅ. खरे ने कहा कि ईमान के डर से बिगाड़ की बात न करने वाले प्रेमचंद के विचार हर युग में प्रासांगिक रहे। इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अशोककुमार शर्मा ने उनकी विभिन्न कहानियों के प्रसंगों के दृष्टिकोण से रेखांकित किया। पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, दो बैलों की कथा, आहुति, सवा सेर गेहूं, कफन जैसी कितनी ही कहानियां मंशी प्रेमचंद की है, जिसमें समकालीन साहित्य की खनक एवं आगामी भारत के भविष्य का चित्रण है। शर्मा ने उनके साहित्यिक उपन्यासों में गबन,गोदान को भी रेखांकित किया साथ ही उनके जीवन मूल्यों को आत्मसात करने के लिए विधार्थियों को प्रेरित किया।
कार्यक्रम में प्राध्यापक मोहनपुरी ने कहा कि मंुशी प्रेमचंद ने हिन्दी को वैश्विक ज्ञान से जोड़ने एवं तत्कालीन हिन्दी भाषा को समृद्व करने के उद्देश्य से जाॅन गाल्र्सवर्दी, फ्रांसिस बेकन, जाॅन लाॅक जैसे क्रांतिकारी साहित्यिक विचारकों को हिन्दी में लाने का कार्य किया। प्रेमचंद के क्रांतिकारी विचारों की वर्तमान आवश्यकता पर विमर्श के साथ ही गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर विचार विमर्श किए गए। कार्यक्रम में डाॅ.रजनी खरे, डाॅ. दिनेश मालवीय, डाॅ.राजमल नागर, डाॅ.अशोक विजयवर्गीय सहित अन्य मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापक मोहनपुरी ने किया साथ ही आभार डाॅ.प्रकाश अहिरवार ने व्यक्त किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / मनोज पाठक