Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
कोलकाता, 31 जुलाई (हि. स.)। पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने विभिन्न विभागों के खर्च पर लगाम कसने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब कोई भी विभाग निर्धारित सीमा से अधिक राशि खर्च करने से पहले वित्त विभाग से अनुमति लेगा। इससे पब्लिक वर्क्स, पंचायती राज, स्वास्थ्य और उत्तरबंग विकास जैसे प्रमुख विभागों के कई प्रोजेक्टों की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।
एक अधिकारी ने बताया कि वित्त विभाग ने हाल ही में सभी विभागों को एक नई निर्देशिका जारी की है जिसमें प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता की सीमा को संशोधित किया गया है। पहले जहां कुछ विभागों को बिना अनुमति के पांच करोड़ तक खर्च करने की छूट थी, अब यह सीमा घटाकर तीन करोड़ कर दी गई है। उत्तरबंग विकास और सुंदरबन विकास जैसे विभागों के लिए यह सीमा और भी कम कर दी गई है —अब ये केवल एक करोड़ तक ही खर्च कर सकेंगे।
इस बदलाव का असर ज़मीनी योजनाओं पर साफ दिखाई देने लगा है। उदाहरण के तौर पर, कूचबिहार में लोक निर्माण विभाग ने बामनहाट से चौधुरीहाट तक लगभग 3.5 किलोमीटर लंबी सड़क पांच करोड़ की लागत से बनाने का प्रस्ताव रखा था। अब इस प्रोजेक्ट को वित्त विभाग की अनुमति के लिए फाइल भेजनी पड़ी है। इसी तरह, दिनहाटा में उत्तरबंग विकास विभाग के दो प्रोजेक्ट और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कई काम फिलहाल अटके हुए हैं।
हालांकि अधिकारी इस पर खुलकर बोलने से बच रहे हैं, लेकिन सरकार के भीतर एक वर्ग का मानना है कि हाल ही में ‘पाड़ाय समाधान’ नामक योजना के तहत सरकार ने करीब 800 करोड़ की राशि आवंटित की है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की पैठ मजबूत करने के लिए शुरू की गई है, और इसका असर बाकी परियोजनाओं के बजट पर पड़ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इससे प्रशासनिक कार्यों में न केवल देरी होगी बल्कि लागत भी बढ़ सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर