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नई दिल्ली, 31 जुलाई (हि.स.)। साहित्य अकादमी ने गुरुवार को प्रेमचंद जयंती पर प्रेमचंद की विरासत और वर्तमान कथा परिदृश्य विषयक चर्चा का आयोजन किया। इस अवसर पर प्रख्यात लेखक श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ ने प्रेमचंद की विरासत को व्यापक और बहुआयामी बताते हुए कहा कि लेखक का काम दर्पण दिखाना होता है, वह प्रेमचंद ने बहुत ईमानदारी से किया।
श्यौराज सिंह ने यहां के फिरोजशाह रोड स्थित साहित्य अकादमी के मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में प्रेमचंद के दलित चरित्रों के चित्रण पर अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रेमचंद दलितों के जीवन की त्रासदी तो बहुत सच्चाई से रखते हैं, लेकिन उनका कोई भी चरित्र इसका कोई बहुत विरोध करता नहीं दिखाई देता। इस संदर्भ में उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ऐसा इसलिए भी है कि लेखक का दायित्व सच्चाई को प्रकट करना है और परिवर्तन का काम उस समाज को करना होता है। उन्होंने प्रेमचंद के संघर्षपूर्ण जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने बहुत जोखिम लेकर समाज की सच्चाई सामने रखा।
वरिष्ठ पत्रकार शिव कुमार राय ने प्रेमचंद के जीवन और लेखन से कई उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी विरासत अनमोल है और नई पीढ़ी को उससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
कार्यक्रम के बाद सवाल-जवाब के क्रम में कहानीकार राजकुमार गौतम ने प्रेमचंद की विरासत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि नई पीढ़ी को केवल उनके लेखन से नहीं बल्कि उनके जीवन संघर्षों और उच्च लक्ष्यों के प्रति उनकी निष्ठा को भी समझना और अपनाना होगा।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार और छात्र उपस्थित थे। रीतारानी पालीवाल और कई अन्य लेखकों ने भी अपनी टिप्पणियां कीं तथा कई शोधार्थियों की जिज्ञासाओं के समाधान भी वक्ताओं ने किए।
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हिन्दुस्थान समाचार / पवन कुमार