बागपत का पुरामहादेव मंदिर जहां प्रकट हुए थे भोलेनाथ
पुरामहादेव मंदिर , बागपत


पुरामहादेव मंदिर बागपत में स्थापित शिव परिवार


-महर्षि परशुराम के कठोर तप से प्रसन्न हो शिव ने दिए थे साक्षात दर्शन

नई दिल्ली, 31 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हिंडन नदी के तट पर स्थित पुरामहादेव मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। यह प्राचीन मंदिर सनातन आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां पर सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु सुदूर क्षेत्रों से जलाभिषेक करने आते हैं।

बागपत जिले में हरनंदी नदी (हिंडन) के तट पर परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि का आश्रम था। यहां पर वे तप किया करते थे। बाद में यही स्थान खेड़ा के नाम विख्यात हुआ। प्राचीन ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। महर्षि परशुराम ने भी यहीं पर तप किया और गुरुकुल खोला था। इस गुरुकुल में भीष्म पितामह और दानवीर कर्ण आदि के शिक्षा ग्रहण करने की बातें सामने आती हैं। यहां से कुछ ही दूरी पर हिंडन तट पर महर्षि परशुराम ने कठोर तप किया। इससे प्रसन्न हो महादेव ने साक्षात दर्शन दिए थे। फिर उन्होंने महादेव से लोक कल्याण के लिए यहां पर पिंडी के रूप में प्रकट होने का वरदान मांगा। इस पर भगवान महादेव तथास्तु कहकर पिंडी के रूप में प्रकट होकर वहां पर हमेशा-हमेशा के लिए विराजमान हो गए।

इसके बाद से यह स्थान परशुरामेश्वर महादेव यानी पुरामहादेव के नाम से विख्यात हुआ। ऐसी मान्यता है कि यहां पर महादेव शिव का जलाभिषेक और पूजन-अर्चन से सुखद अनुभूति के साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह पुरामहादेव मंदिर परशुराम खेड़ा से तकरीबन ढाई सौ मीटर दूर है। परशुराम मंदिर खेड़ा में उनकी माता रेणुका द्वारा बनाये गए घड़े के अवशेष भी पाए गए हैं। कुछ शुभ चिह्न भी मिले हैं जहां अब बेसमेंट बना दिया गया है। इसमें भगवान परशुराम के माता-पिता और बहन की मूर्तियां भी स्थापित हैं। यहां पर 24 जनवरी 2013 से अखंड जोत जागृत है। इसी दिन से ही इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था।

गाजियाबाद के मोदीनगर स्थित मुल्तानी मल मोदी कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा बताते हैं कि उन्होंने इस क्षेत्र का पुरातात्विक सर्वे किया था, जिसमें चित्रित धूसर मृद्भांड मिले हैं जो इस बात को प्रमाणित करते हैं यह क्षेत्र अति प्राचीन स्थल है। लोक कथाओं के वर्णन और पुरातात्विक सर्वे के आधार पर महर्षि परश़ुराम के आश्रम के बारे में जो बातें कही जाती हैं, वे सही हैं।

यदि हम इसके क्षेत्रफल और स्थान की बात करें तो यह क्षेत्र लगभग 28 बीघा में फैला हुआ है। यह बागपत से 20 किलोमीटर और मेरठ से 25 किलोमीटर बालैनी तथा बालैनी से 3 किलोमीटर हिंडन नदी के तट पर स्थित है जबकि खेड़ा धाम से करीब 250 मीटर की दूरी पर भगवान परशुराम जी द्वारा स्थापित पुरामहादेव मंदिर है। यह मंदिर 111 फुट ऊंचा और 101 फुट चौड़ा है।

इस तपोभूमि पर पिछले 15 वर्षों से सूरज मुनि महाराज जी और देवमुनि महाराज जी के सानिध्य में हजारों भक्तों के प्रयास से भगवान परशुराम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। मुनि जी बताते हैं कि मंदिर निर्माण के लिए सर्वप्रथम आसपास के 80 से 85 गांव से सर्व समाज से 2 ईंट और 30 रुपये लिये गए। खेड़ा के प्रमुख लोगों से चंदा इकट्ठा करने में मदद ली गई। सभी भक्तों ने खुलेमन से इस मंदिर के लिए दान दिया। अब तो दिल्ली, हरियाणा आदि राज्यों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कार्य शीघ्रता से चल रहा है। मुनि जी ने बताया कि मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से भी आर्थिक मदद प्राप्त हो रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामानुज शर्मा