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एमडीडी ऑफ़ इंडिया ने हितधारकों के साथ मनाया विश्व मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवसहिसार, 31 जुलाई (हि.स.)। मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस के अवसर पर गैर सरकारी संगठन एमडीडी ऑफ़ इंडिया ने स्थानीय रेलवे स्टेशन पर मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया। एमडीडी ऑफ़ इंडिया की जिला समन्वयक कामिनी मलिक ने गुरुवार काे बताया कि बाल संरक्षण और बाल अधिकारों के क्षेत्र से जुड़े सभी प्रमुख हितधारक इस कार्यक्रम में एक साथ आए। इनमे प्रमुख रूप से रेलवे सुरक्षा बल, जीआरपी, मानव तस्कर विरोधी इकाई, जिला बाल कल्याण अधिकारी, जिला बाल सरंक्षण अधिकारी, स्टेशन अधीक्षक, शिक्षा विभाग आदि कार्यालयों के अधिकारी और प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने एक सुर से स्वीकार किया कि बाल दुर्व्यापार यानि बच्चों की ट्रैफिकिंग से निपटने के लिए सभी एजेंसियों व विभागों को साथ मिलकर कार्रवाई करने की सख्त जरूरत है ताकि ट्रैफिकिंग गिरोहों में कानून का भय पैदा हो सके। उन्होंने कहा कि देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए 250 से भी अधिक नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन है और हिसार में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है। बच्चों की ट्रैफिकिंग से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने आने वाली वाली चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने सामूहिक रूप से यह माना कि मौजूदा कानूनों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, संवेदनशील तबकों को ट्रैफिकिंग गिरोहों और उनके कामकाज के तरीकों के बारे में संवेदनशील बनाना और सभी एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करना तत्काल जरूरी है, ताकि मुक्त कराए गए बच्चों के लिए तय समयसीमा में न्याय और पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके। एमडीडी ऑफ़ इंडिया ने पिछले वर्ष के दौरान 2416 बच्चों को बाल श्रम, ट्रैफिकिंग और बाल विवाह से बचाया है। संगठन ने यह रेखांकित किया कि बच्चों की ट्रैफिकिंग केवल बाल मजदूरी या मुनाफे के लिए यौन शोषण तक ही सीमित नहीं है। बहुत से बच्चे, खास तौर से लड़कियां, जबरन विवाह के लिए भी ट्रैफिकिंग का शिकार बनती हैं। यह एक एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में कम ही चर्चा की जाती है और रोकथाम के उपायों पर भी ज्यादा बात नहीं होती।जुलाई में एमडीडी ऑफ़ इंडिया ने रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के साथ मिलकर बच्चों की ट्रैफिकिंग के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए रेलवे स्टेशनों पर अभियान चलाया। चूंकि ट्रैफिकिंग गिरोह अक्सर बच्चों को दूसरे राज्य ले जाने के लिए रेल मार्ग का उपयोग करते हैं, इसलिए इस अभियान का फोकस यात्रियों, रेल कर्मियों, विक्रेताओं, दुकानदारों और कुलियों को बाल तस्करी के संकेतों की पहचान करने और संदिग्ध मामलों की सुरक्षित रूप से रिपोर्ट करने के लिए संवेदनशील बनाना था। रोकथाम अभियानों की सफलता के लिए जिले में मजबूत प्रशासनिक समन्वय और समयबद्ध कानूनी कार्रवाई आवश्यक है। इस तरह से काम कर हम न सिर्फ बच्चों की सुरक्षा बल्कि उन ट्रैफिकिंग गिरोहों के नेटवर्क का भी खात्मा कर सकेंगे जो बच्चों का शिकार करते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर