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कोलकाता, 31 जुलाई (हि.स.) ।
अवैध निर्माण के मामलों में मुकदमा दायर कर वसूली करने वाले एक संगठित गिरोह की ओर इशारा करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। न्यायमूर्ति गौरांग कांत ने ऐसे ही एक मामले की सुनवाई के दौरान यह संकेत दिया कि अदालत इस पूरे प्रकरण को लेकर स्वतः संज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज कर सकती है।
यह मामला गार्डेनरिच इलाके में बिना अनुमति के बनाए गए चार मंजिला इमारत से जुड़ा है। गुरुवार को सुनवाई की शुरुआत में ही याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल यह मामला वापस लेना चाहते हैं। इस पर अदालत ने जब कारण पूछा, तो वकील कोई ठोस जवाब नहीं दे सके।
इस पर न्यायमूर्ति कांत ने मामले में याचिकाकर्ता की मंशा पर संदेह जताते हुए निर्देश दिया कि शुक्रवार तक याचिकाकर्ता को शपथपत्र के माध्यम से यह बताना होगा कि क्या उन्होंने कोलकाता या राज्य के किसी अन्य हिस्से में भी ऐसे ही किसी अवैध निर्माण को लेकर अन्य मुकदमे दायर किए हैं।
अदालत ने यह भी संकेत दिया कि इस याचिकाकर्ता पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
हाईकोर्ट का मानना है कि ऐसे मुकदमों के जरिए कुछ लोग वसूली का जरिया बना रहे हैं और अदालत को एक औजार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कोलकाता के एक बड़े होटल पर फुटपाथ कब्जा कर निर्माण करने का आरोप लगा था, लेकिन मामला कुछ समय बाद रहस्यमय तरीके से ठंडे बस्ते में चला गया।
इसी तरह बकखाली, दीघा और मंदारमणि जैसे तटीय इलाकों में भी समुद्री कानूनों का उल्लंघन कर अवैध निर्माण को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर आगे सुनवाई के लिए याचिकाकर्ताओं ने खास दिलचस्पी नहीं दिखाई।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर