Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
कुशीनगर, 31 जुलाई (हि.स.)। 127 बर्ष बाद प्राचीन बौद्ध विरासत को हांगकांग से सुरक्षित भारत वापसी पर महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर के बौद्ध भिक्षुओं में हर्ष का माहौल है। भिक्षुओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताते हुए विरासत को कपिलवस्तु में संरक्षित करने की मांग की है। इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए भिक्षुओं ने महापरिनिर्वाण मंदिर में विशेष पूजा की और परस्पर खुशियां साझा की।
1898 में विलियम क्लैक्सटन पेप्पे नामक एक औपनिवेशिक जमींदार ने पिपरहवा में अपनी संपत्ति पर एक स्तूप की खुदाई का आदेश दिया। खुदाई के दौरान, पाँच अवशेष मिले जिनमें अस्थि-खंड, राख और नीलम, मूंगा, गार्नेट, मोती, रॉक क्रिस्टल, शंख और सोना जैसे रत्न शामिल थे। इन रत्नों के हांगकांग में नीलामी में रखे जाने की जानकारी के बाद भारत सरकार सक्रिय हुई थी।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. भिक्षु नन्दरतन ने कहा कि संपूर्ण बौद्ध जगत के लिए अत्यंत गौरव का विषय है। भारत सरकार की सक्रियता से यह संभव हुआ है। भिक्षु अशोक ने कहा कि जिस प्रकार वैशाली में स्तूप का निर्माण कराकर बुद्ध की अस्थियां संरक्षित कर आम जन के दर्शन के सुलभ बनाया ,ठीक उसी प्रकार हांगकांग से वापस ली गई बौद्ध विरासत को कपिलवस्तु में स्थापित किया जाए। प्रमुख बौद्ध भिक्षु चंदिमा, बौद्ध अध्ययन व सभ्यता संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर,भंते महेंद्र ,भंते अशोक डाॅ.ज्ञानादित्य शाक्य , तिब्बती मंदिर के लामा कुंचुक, टी के राय , अंबिकेश त्रिपाठी आदि ने इस कार्य के लिए भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है।
हिन्दुस्थान समाचार / गोपाल गुप्ता