मध्‍य प्रदेश विधानसभा में हुई भू-जलस्तर और पानी के स्त्रोतों पर चर्चा
मध्‍य प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो)


भोपाल, 31 जुलाई (हि.स.) । मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन गुरुवार को प्रदेश में लगातार कम होते भू जलस्तर और परंपरागत जल संग्रहण संरचना खत्म होने से उत्पन्न स्थितियों को लेकर विधानसभा में चर्चा हुई। इस पर पक्ष विपक्ष के सदस्यों ने अपनी बात रखी। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

मध्‍य प्रदेश विधानसभा में दोपहर बाद भू-जलस्तर और पानी के स्त्रोतों पर चर्चा करते हुए कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने कहा कि शहरीकरण के चलते जल स्रोतों की पुरानी धरोहर खत्म हो रही है। घनघोरिया ने अधिकारियों की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनके कामों से स्थिति बिगड़ रही है। यह सब की चिंता के विषय है। भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार ने कहा कि भगवान राम की तपस्थली चित्रकूट सिंचाई विहीन क्षेत्र है। वहां सिंचाई की सुविधा डेवलप करने की जरूरत है। गहरवार ने क्षेत्र को सिंचित बनाने के कई सुझाव भी दिए।

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि जो योजना चलाई गई वह प्रदेश का जलस्तर बढ़ने के लिए चलाई गई योजना नहीं थी, बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं के जेब स्तर बढ़ने के लिए चलाई गई योजना थी। विधानसभा और ब्लॉक में जो जलदूत बने उनके नाम पर पैसा निकाला गया। पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है।

जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि केन बेतवा परियोजना से बुंदेलखंड में सिंचाई की रकबा बढ़ेगा और जल संकट खत्म होगा। पार्वती काली सिंध चंबल परियोजना भी एमपी राजस्थान के जिलों में जल संकट खत्म करने और सिंचाई रकबा बढ़ाने पर काम करेगी। ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना से भी महाराष्ट्र और एमपी का पानी का एरिया बढ़ेगा

हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत