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--एयरटेल के प्रबंध निदेशक के खिलाफ आपराधिक केस कार्यवाही रद्द
प्रयागराज, 31 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि सिविल प्रकृति के विवाद में आपराधिक कार्यवाही न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट ने मोबाइल टावर लगाने को लेकर सिविल वाद के साथ-साथ आपराधिक केस दर्ज करने को ग़लत माना और सहारनपुर के सदर बाजार थाना क्षेत्र में न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष चल रही इकबाल अहमद बनाम सितारा बेगम व अन्य के खिलाफ केस कार्यवाही रद्द कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने भारती एयरटेल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक गोपाल बिट्टल की धारा 482 मे दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची का कहना था कि उसकी कम्पनी ने सितारा देवी के बीच किराया करार के तहत मल्हीपुर में अप्रैल 2007 में मोबाइल टावर लगाया गया।
विपक्षी ने स्वामित्व को लिखकर सिविल कोर्ट में विवाद विचाराधीन होने के आधार पर अंतरिम निषेधाज्ञा के लिए अर्जी दी। मजिस्ट्रेट ने अमीन को भेजकर मौके की रिपोर्ट मांगी। अमीन की रिपोर्ट में टावर होने का खुलासा किया गया तो कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश जारी किया। इसके बाद विपक्षी ने चार माह बाद धारा 156(3) में एक दूसरी अर्जी दी। जिस पर मजिस्ट्रेट ने धारा 200 व 202 का बयान दर्ज करने के बाद अर्जी खारिज कर दी। जिसके खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी दी गई। सत्र अदालत ने आदेश रद्द कर नये सिरे से आदेश के लिए मजिस्ट्रेट को वापस भेज दिया।
इसके बाद मजिस्ट्रेट ने याची को सम्मन जारी किया। हाजिर न होने पर गैर जमानती वारंट जारी किया। दोनों आदेश सहित केस कार्यवाही की वैधता को चुनौती दी गई। याची अधिवक्ता ने कहा विवाद सिविल प्रकृति का है, इसलिए आपराधिक केस कार्यवाही अवैध है। सुप्रीम कोर्ट की कई नजीरे पेश की।
कोर्ट ने माना निःसंदेह सिविल विवाद है। दबाव बनाने के लिए आपराधिक कार्यवाही की गई है। कोर्ट ने कहा धारा 447 का कोई अपराध याची के खिलाफ बना ही नहीं। मजिस्ट्रेट ने सम्मन जारी कर कानूनी गलती की है। इसलिए आदेश निरस्त होने लायक है और न्यायिक मजिस्ट्रेट सहारनपुर की अदालत में चल रही आपराधिक केस कार्यवाही को रद्द कर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे