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शिमला, 31 जुलाई (हि.स.)। इस बार सेब सीजन के शुरू होते ही प्रदेश के बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। मौसम की मार और रोगों के चलते इस वर्ष सेब का आकार अपेक्षाकृत छोटा रहा, लेकिन एपीएमसी के स्पष्ट निर्देशों और आश्वासनों के बावजूद छोटे साइज वाले सेबों की मंडियों में खरीद नहीं हो रही है। कई मंडियों में 30% तक की कटौती की जा रही है, जिससे बागवानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है।
भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश ठाकुर ने वीरवार काे जारी एक प्रेस बयान में कहा कि सरकार और एपीएमसी की निष्क्रियता से बागवान हताहत हैं। उन्होंने माँग की कि एपीएमसी अपने आदेशों को सख्ती से लागू करे और निरीक्षण कमेटी पारदर्शिता के साथ अपनी भूमिका निभाए। छोटे साइज वाले सेब मंडी में ही खरीदे जाएँ, इसकी जिम्मेदारी तय हो।
सुरेश ठाकुर ने कहा कि लोडिंग और अनलोडिंग चार्ज पर भी नियंत्रण रखा जाए ताकि बागवानों का शोषण न हो। वहीं कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों में सेब सीजन गति पकड़ चुका है, लेकिन एमआईएस के तहत खरीदे जाने वाले सेबों के डिपो अभी तक पर्याप्त संख्या में स्थापित नहीं किए गए हैं, जिससे बागवानों में आक्रोश है। उन्होंने सरकार से माँग की कि तुरंत आवश्यक डिपो स्थापित किए जाएँ।
इसके साथ ही उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि कल तक मंचों पर अदानी-अंबानी का विरोध करने वाले आज अदानी की गोद में बैठे हैं। एचएमपीसी के ग्रेडिंग सेंटर टूटुपानी, जरोल टिक्कर और पिओ को तीन साल के लिए अदानी को सौंपना कांग्रेस सरकार की बागवान विरोधी मंशा को दर्शाता है।
बागवानों का पसीना, अदानी का मुनाफ़ा यह कांग्रेस सरकार की नीति बन चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने हिमाचल के बागवानों की पीठ में छुरा घोंपा है और किसान संघ इस अन्याय के खिलाफ हर स्तर पर संघर्ष करेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला