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कोलकाता, 31 जुलाई (हि.स.)। खिदिरपुर कॉलेज में ऑटिस्टिक रोग पर आधारित सेमिनार सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। शिक्षा विभाग, खिदिरपुर कॉलेज के एचइपीएसएन सेल, इंटरनेशनल लायनस क्लब ऑफ कोलकाता और सिर्री शक्ति फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने इस बीमारी के विभिन्न पहलुओं पर बात की।
विशेषज्ञ वक्ताओं ने कहा कि ऑटिस्टिक असाध्य रोग नहीं है। ऑटिस्टिक ग्रस्तों का दिमाग दूसरे लोगों से अलग तरीके से काम करता है। कार्यक्रम की शुरुआत शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर व अध्यक्ष सुभाषचंद्र मांडी ने स्वागत और परिचयात्मक भाषण से की। प्रधानाचार्य डॉ. अभिजीत गांगुली ने अपने विचारपूर्ण और प्रेरक शब्दों व अनुभव से सभा को संबोधित किया।
उक्त सेमिनार में अधिवक्ता सिद्धांत घोष ने कहा कि ऑटिस्टिक बच्चे चुनौतियों का सामना करके विभिन्न क्षेत्रों में अपनी दक्षता को साबित भी करते हैं लेकिन उनके साथ होते भेदभाव को दरकिनार नहीं किया जा सकता है।
अधिवक्ता घोष ने दिव्यांग व्यक्तियों को लेकर कानूनी प्रावधानों और अधिकारों पर एक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया। प्रथम पदाक्षेप की प्रधानाचार्य श्रेयशी नाग ने अपने अनुभव से ओतप्रोत भाषण में ऑटिस्टिक बच्चों के साथ और उनके लिए काम करने के अपने 13 वर्षों के अनुभव को साझा किया।
इस दौरान डॉ. सुनीति पाल,डॉ. दीपान्विता घोष, डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा, डॉ. स्वाति पाल, शिल्पी चटर्जी व अन्य ने अपनी बात कही। साथ ही नुपुर बसु, प्रीति गोस्वामी, मौमिता मुखर्जी और रेशमी मुखर्जी ने गायन किया जबकि छात्राओं किरण कौर गिल और नूरुन नेसा ने नृत्य प्रस्तुत किया। इस दौरान ऑटिस्टिक बच्चों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई। ऑटिस्टिक बच्चों को उनके योगदान और भागीदारी के तहत प्रमाण और उपहार वितरित किए गए।
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हिन्दुस्थान समाचार / गंगा