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बिलासपुर , 31 जुलाई (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सरगांव थाना क्षेत्र में ऑनलाइन ठगी के एक बड़े मामले में ₹15 लाख 35 हजार रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार महिला आरोपितों गुलशना उर्फ शालिनी कुमारी को लेकर नया मोड़ आया है। पीड़ित बजरंग साहू द्वारा दर्ज शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए गुलशना और दो अन्य आरोपितों – अनिल कुमार और नरेंद्र प्रताप उर्फ पंकज कुमार को गिरफ्तार किया था। जिसमें छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने महिला आरोपित को पीड़ित के साथ पैसे वापसी और समझौते को ध्यान में रखते हुए राहत दी है।
बता दें साइबर सेल मुंगेली की जांच में खुलासा हुआ कि यह राशि पीड़ित के और उसके भाई के संयुक्त खाते से निकाली गई थी। पुलिस ने दिल्ली में छापेमारी कर ₹4.20 लाख नकद, फर्जी आधार कार्ड, बायोमेट्रिक डिवाइस और 6 मोबाइल जब्त किए। ₹3.38 लाख को आरोपितों के बैंक खातों में फ्रीज किया गया। ट्रायल के दौरान पीड़ित और महिला आरोपित के बीच समझौता हुआ और ₹5 लाख की राशि पीड़ित को लौटा दी गई। इसके बाद पीड़ित ने मामला समाप्त करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामला टाइम-बाउंड है और उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार 6 माह में निपटाया जाना है। आरोपित महिला का पति नरेंद्र प्रताप भी सह-आरोपित है, जिससे अब उसका संबंध विच्छेद हो चुका है। कोर्ट ने अन्य सह-आरोपितों के खिलाफ जांच जारी रखने और चार्जशीट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
उच्च न्यायालय ने बुधवार शाम अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता एक महिला है और याचिकाकर्ता और उसके पति, जो सह-अभियुक्त है, के बीच संबंध वर्तमान घटना के कारण खराब हो गए हैं और उसने उसे छोड़ भी दिया है और इस तथ्य को भी ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता को राशि का भुगतान भी कर दिया है और उनके बीच समझौता विलेख भी निष्पादित हो गया है। इसको देखते हुए निचली अदालत को निर्देश दिया है कि वह पक्षकारों के बीच हुए समझौता विलेख की जाँच करे और उचित आदेश पारित करे और उन सह-अभियुक्तों के खिलाफ कार्यवाही करे जिनके साथ कोई समझौता नहीं हुआ है, यदि कोई कानूनी बाधा नहीं है। वहीं याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह इस आदेश के पारित होने के बारे में निचली अदालत के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत करे और इस पर दो सप्ताह के भीतर निचली अदालत द्वारा निर्णय लिया जाएगा। वहीं समझौता विलेख की मूल प्रति, उसी की फोटोकॉपी अपने पास रखने के बाद, याचिकाकर्ता को वापस कर दी जाए।
हिन्दुस्थान समाचार / Upendra Tripathi