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जयपुर, 31 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में सरकार के खिलाफ होने वाले निर्णयों के विरूद्ध अपील में देरी करने और अपील नहीं करने के सरकार के फैसले पर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि अपील के संबंध में अनावश्यक देरी की जाती है। इसके अलावा अपील की राय देने के बावजूद अपील नहीं करने का निर्णय लिया जाता है और कई मामलों में अपील कर दी जाती है, इसे समझने के लिए हमें और स्पष्टीकरण की जरूरत है। ऐसे में मामले में सहयोग के लिए अधिवक्ता सुरेश साहनी व अधिवक्ता पीसी भंडारी को न्यायमित्र नियुक्त किया जाता है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर भी रोक लगा दी है। वहीं अदालत ने कहा कि विधि विभाग में तैनात न्यायिक अधिकारियों की एसीआर मुख्य सचिव या अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से भरने का परीक्षण भी किया जाएगा। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आरएएस अशोक सांखला की याचिका पर दिए।
सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में प्रमुख विधि सचिव अदालत में पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि अपील का फैसला विधि विभाग में तैनात तीन न्यायिक अधिकारियों की कमेटी करती हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि मामले की जानकारी रखने वाले प्राधिकारी और कोर्ट में केस लड़ने वाले वाले एएजी की राय के बाद भी सरकार किस आधार पर अपील नहीं करने का निर्णय करती है और अन्य मामलों में किस आधार पर अपील करने का निर्णय किया जाता है, इसे समझने की जरूरत है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने आया कि विधि विभाग में पदासीन न्यायिक अधिकारियों की एसीआर मुख्य सचिव व अन्य प्रशासनिक अधिकारी भरते हैं। इस पर भी कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए हुए कहा कि न्यायिक अधिकारी की एसीआर मुख्य सचिव कैसे भर सकते हैं।
तत्कालीन भू प्रबंध अधिकारी याचिकाकर्ता अशोक सांखला की ओर से अधिवक्ता राजेश गोस्वामी ने याचिका में कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2023 को प्रकरण के सह आरोपी पूर्व आईएएस अधिकारी नन्नूमल पहाड़िया के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले को रद्द कर दिया था। इस पर एसीबी और एएजी ने कुछ बिंदुओं के आधार पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की राय दी थी, लेकिन सरकार ने अपील नहीं करने का निर्णय लिया। याचिका में कहा गया कि मामले में मुख्य आरोपी के खिलाफ हाईकोर्ट ने मामला रद्द कर दिया और सरकार ने मामले में अपील नहीं करने का निर्णय लेकर फैसले को स्वीकार कर लिया हैं। ऐसे में याचिकाकर्ता खिलाफ चल रहे मामले को भी रद्द किया जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक