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लखनऊ, 30 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने बुधवार को कल्ली पश्चिम स्थित डीसीपी दक्षिण कार्यालय में राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 के नए कॉल सेंटर का उद्धाटन किया है। इस दौरान एडीजी साइबर क्राइम बिनोद कुमार सिंह समेत अन्य पुलिस कर्मी उपस्थिति रहे।
डीजीपी ने बताया कि यूपी में 20 सीटों का साइबर हेल्प लाइन नम्बर 1930 का कॉल सेन्टर यूपी 112 मुख्यालय में क्रियाशील है। लेकिन बढ़ती साइबर शिकायतों के ध्यान में रखते हुए 30 सीटों का उच्च स्तरीय नवीन कॉल सेन्टर कल्ली पश्चिम में स्थापित किया गया है। इस कॉल सेन्टर में 24X7 प्रशिक्षित पुलिस कर्मी वित्तीय साइबर अपराध के पीड़ितों की ऑनलाइन शिकायत दर्ज करेंगे। इसके लिये आरक्षी से निरीक्षक तक के 94 पुलिस कर्मी नियुक्त किये गये हैं। प्रदेश के साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के पीड़ितों की शिकायतों की सुनवाई के लिए कुल 50 कॉलर हर समय उपलब्ध होंगे । यहां पर दर्ज हुई शिकायतें अपराध समन्वय केंद्र (I4C), साइबर क्राइम मुख्यालय, जनपदीय एवं कमिश्नरेट साइबर सेल व सम्बन्धित थाने पर प्रदर्शित होने लगेंगी।
शीघ्र ही इसी कॉल सेन्टर में अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की तर्ज पर बैंकों से सहयोग प्राप्त कर साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (सीएफएमसी) की भी शुरूआत होनी है। इससे एक ही छत के नीचे पुलिस, बैंक व टेलीकाम के कर्मी एक साथ उपलब्ध रहेंगे, जिससे पीड़ित को तत्काल सहायता मिल सकेगी।
डीजीपी ने बताया कि पूर्व में प्रचलित व्यवस्था में वर्ष 2020 में परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थाने स्थापित किए गए थे। तत्समय इन थानों में 05 लाख रुपये से अधिक ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के अपराध पंजीकृत तथा स्थानान्तरित होते थे। वर्ष 2023 में शेष जनपदों में 57 नये साइबर क्राइम थाने स्थापित किये गये।
आम जनमानस के हितों को दृष्टिगत रखते हुए थानों में निर्धारित 05 लाख रुपये की सीमा समाप्त कर दी गयी है। अब थानों पर हर प्रकार के ऑनलाइन वित्तीय अपराध पंजीकृत किये जाएंगे। ताकि साइबर थानों का समुचित उपयोग सुनिश्चित कर जनता की शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया जा सके ।
प्रत्येक जोनल मुख्यालय पर एक प्रशिक्षित अधिकारी साइबर कमांडो की नियुक्ति की जा रही है, जो जोन के समस्त जिलों एवं कमिश्नरेट के विवेचकों को जटिल साइबर अपराधों की जांच में सहायता उपलब्ध करायेंगे। वर्तमान में यूपी के 15 पुलिस कर्मियों के अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के माध्यम से संचालित 06 माह का साइबर कमाण्डो कोर्स उच्च शिक्षण संस्थानों से पूर्ण किया गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि शासन से पत्राचार कर यह प्रयास किया जा रहा है कि आईटी एक्ट के प्रावधानों में बदलाव कर साइबर अपराधों की विवेचना के लिए विवेचनाधिकारी निरीक्षक स्तर से घटाकर उप-निरीक्षक स्तर तक कर दिया जाये, जिससे एफआईआर पंजीकरण एवं मामलों के शीघ्र निस्तारण को सुनिश्चित किया जा सके। उच्च न्यायालय इलाहाबाद में सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) के माध्यम से फ्रीज धनराशि को शीघ्र बिना प्रथम सूचना रिपोर्ट के मात्र पीड़ितों के प्रार्थना पत्र पर पीड़ितों तक पहुंचाने के लिए यूपी शासन द्वारा प्रेषित प्रस्ताव विचाराधीन है।
प्रत्येक जनपद एवं पुलिस कमिश्नरेट में अपर पुलिस अधीक्षक या डीसीपी स्तर के अधिकारी को साईबर अपराध के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर उनके दायित्वों का स्पष्ट रूप से निर्धारण किया जायेगा। इसके अलावा एक त्रिस्तरीय साइबर जांच एवं डिजिटल सहायता प्रयोगशाला-मुख्यालय, रेंज, कमिश्नरेट और जनपद स्तर पर प्रस्तावित की जा रही है, जो प्रदेश में साइबर अपराधों की जांच एवं उनके निस्तारण की गति को अत्यंत तीव्र कर देगी।
डीजीपी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में हर स्तर के पुलिस अधिकारियों को पीयर लर्निंग, सेशन के माध्यम से ऑनलाइन तथा राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र (एनसीटीसी),केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) से निरन्तर प्रशिक्षण प्राप्त कराया जा रहा है एवं भविष्य में योजनाबद्ध तरीके से साइबर प्रशिक्षण प्रारंभ किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में कुल 11,683 पुलिस कर्मी अपराध समन्वय केंद्र (I4C) से संचालित साइट्रेन पोर्टल के माध्यम से साइबर प्रशिक्षण के विभिन्न स्तरीय 38,550 सर्टिफिकेट प्राप्त किये हैं। इसके साथ ही साथ माह के प्रत्येक प्रथम बुधवार को साइबर जागरुकता दिवस के रुप में मनाया जा रहा है। यूपी पुलिस को उनके स्थानीय सीमा के अन्तर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों, नगर निकायों, गैर सरकारी संगठनों, नागरिक सामाजिक संगठनों, डिजिटल वालंटियर, ग्राम मोहल्ले के निवासियों आदि से समन्वय कर सहयोग प्राप्त कर साइबर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / दीपक