उत्तर मध्य रेलवे ने तीन वर्षों में 2160 बच्चों को मानव तस्करी से बचाया
मानव तस्करी के खिलाफ अभियान


प्रयागराज, 30 जुलाई (हि.स.)। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), भारत में विशेष रूप से रेल नेटवर्क में मानव तस्करी के विरुद्ध लड़ाई में एक महत्वपूर्ण एजेंसी के रूप में उभरा है। आरपीएफ और एसोसिएशन ऑफ वॉलंटरी एक्शन (एवीए) के बीच खुफिया जानकारी साझा करने, प्रशिक्षण सम्बंधी समझौता ज्ञापन और जन जागरूकता तंत्र को औपचारिक रूप से सुदृढ़ता देना एक परिवर्तनकारी कदम साबित हुआ है। जिससे आरपीएफ के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मानव तस्करी विरोधी अभियानों को बल मिला है।

यह जानकारी वरिष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी अमित मालवीय ने बुधवार को दी। उन्होंने बताया कि उत्तर मध्य रेलवे में इस साझेदारी ने स्थानीय टीमों को बड़ी संख्या में असुरक्षित बच्चों को बचाने, तस्करी के नेटवर्क कम करने और संदिग्ध गतिविधियों के प्रति रेलवे के बुनियादी ढांचे को संवेदनशील बनाने के लिए सशक्त बनाया है। जिससे यह उत्तर मध्य रेलवे भारतीय रेल के मानव तस्करी विरोधी अभियान में अग्रणी बन गया है।

पीआरओ ने कहा कि, पूर्वी से उत्तरी और पश्चिमी भारत के लिए एक पारगमन मार्ग के रूप में रणनीतिक रूप से स्थित, उत्तर मध्य रेलवे मानव तस्करी के नेटवर्क के लिए अत्यधिक संवेदनशील है। कई बच्चों की तस्करी बाल श्रम, जबरन विवाह या घरेलू दासता के लिए की जा रही थी। उत्तर मध्य रेलवे की सफलता सक्रिय निगरानी, सीसीटीवी निगरानी, आरपीएफ कर्मियों के संवेदीकरण और रेल मदद (139 हेल्पलाइन) के सक्रिय उपयोग में निहित है।

उन्होंने बताया कि, मानव तस्करी विरोधी इकाइयां अब जोन के सभी प्रमुख स्टेशनों पर सक्रिय हैं और गैर सरकारी संगठनों तथा स्थानीय पुलिस के साथ नियमित संयुक्त अभियान तस्करों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं। अंत में उन्होंने बताया कि समय-समय पर, रेलवे सुरक्षा बल मानव तस्करी के विरुद्ध अभियान चलाता है। जिसकी प्रभावशीलता आंकड़ों में परिलक्षित होती है। परिणामस्वरूप, पिछले तीन वर्षों (जून 2025 तक) के दौरान तस्करों की गिरफ्तारी के साथ कुल 2160 बच्चों को बचाया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र