मप्र विधानसभा में उठा संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन का मुद्दा
मप्र विधानसभा (फाइल फोटो)


भोपाल, 30 जुलाई (हि.स.)। मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन में संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन का मुद्दा उठा। भाजपा विधायक डॉ. अभिलाष पांडे ने प्रश्नकाल के बाद दूसरे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में मध्य प्रदेश में संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए स्कूल शिक्षा मंत्री का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने प्रस्ताव को संस्कृत भाषा में सदन में पेश किया।

विधायक डॉ. पांडे ने कहा कि संस्कृत भाषा की बहुत कम संस्कृत संस्थाएं प्रदेश में हैं, इसलिए संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देते हुए अधिक से अधिक संस्थाएं संचालित की जाएं। संस्कृत प्रतियोगिताओं के आयोजन की बात भी उन्होंने कही। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह को हिंदी भाषा में जवाब देने के लिए कहा, लेकिन स्कूल शिक्षा मंत्री ने संस्कृत भाषा में ही जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा के संरक्षण को लेकर लगातार काम कर रही है। संस्कृत भाषा के विकास के लिए 38 जिलों में 278 संस्कृत विद्यालय संचालित हैं। चार आदर्श आवासीय विद्यालय भी संचालित हैं।

मंत्री उदय प्रताप सिंह ने संस्कृत भाषा से संचालित विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती और खाली पदों की जानकारी भी सदन में दी और कहा कि 9000 से ज्यादा पद इसके लिए हैं। इन विद्यालयों में 6000 पदों पर नियुक्ति हो चुकी है, बाकी पदों पर अतिथि शिक्षकों के माध्यम से सेवाएं ली जा रही हैं।

विधायक अभिलाष पांडे ने कहा कि संस्कृत भाषा के माध्यम से कई व्यवसायिक काम भी किया जा सकते हैं। इसलिए सरकार को इस भाषा से संबंधित योजनाओं की जानकारी देनी चाहिए। विधायक ने ये भी पूछा कि क्या राज्य सरकार की संस्कृत सप्ताह या संस्कृत दिवस मनाने की कोई योजना है। इसके जवाब में मंत्री उदय प्रताप ने कहा कि नई शिक्षा नीति के आधार पर संस्कृत के उत्थान को लेकर काम किया जाएगा।

वहीं, भाजपा विधायक गोपाल भार्गव ने कहा कि 22 वर्षों से संस्कृत विद्यालय चला रहे हैं, जो अब महाविद्यालय का रूप ले चुका है। इस विद्यालय के संचालन में उन्होंने शासन से एक रुपये की मदद भी नहीं ली है। उन्होंने कहा कि सागर में 120 साल से संस्कृत महाविद्यालय संचालित है। धन अभाव के कारण उसका उन्नयन नहीं हो पा रहा है। ऐसे विद्यालयों को चिन्हित करके उन्हें सरकारी सुविधाएं दी जानी चाहिए। भार्गव ने सुझाव दिया कि एक समिति बनाकर ऐसे विद्यालयों की पड़ताल की जानी चाहिए और देखना चाहिए कि वास्तव में यह चल रहे हैं या नहीं चल रहे हैं। संचालित विद्यालयों के लिए सुविधा दी जानी चाहिए।

इसी मामले में कांग्रेस विधायक फुंदेलाल मार्को ने कहा कि अगर किसी विद्यालय में दो अतिथि विद्वानों को अलग करना हो तो सबसे पहले संस्कृत वाले को अलग किया जाता है, यह व्यवस्था बंद होनी चाहिए। कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने भी राघोगढ़ विधानसभा क्षेत्र में संस्कृत विद्यालय स्थापित करने के मामले में कहा कि अगर कोई समिति बने तो उसमें उन्हें भी शामिल किया जाए। सभी विधायकों के सवाल के बाद मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के माध्यम से इसके लिए काम किया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर