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नई दिल्ली, 29 जुलाई (हि.स.)। भारतीय पारंपरिक खेल खो-खो ने खेल जगत में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए अखिल भारतीय विद्युत क्रीड़ा नियंत्रण बोर्ड (एआईईएससीबी) के वार्षिक खेल कैलेंडर में अपनी आधिकारिक जगह बना ली है। यह निर्णय एआईईएससीबी की मुंबई में आयोजित वार्षिक आम सभा बैठक में लिया गया, जहां खो-खो को क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, कबड्डी, बैडमिंटन और टेनिस जैसे अन्य 16 प्रमुख खेलों के समकक्ष स्थान दिया गया।
एआईईएससीबी भारत में ऊर्जा और विद्युत क्षेत्रों से जुड़े विभागों की प्रमुख खेल संस्था है, जो वर्षों से विभिन्न खेलों को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। अब एआईईएससीबी की मान्यता मिलने के बाद, खो-खो खिलाड़ियों को न केवल प्रतिस्पर्धात्मक मंच मिलेगा, बल्कि उन्हें खेल कोटे के माध्यम से करियर के स्थायी अवसर भी मिल सकेंगे। इससे पहले सेनाएं (सर्विसेज) और भारतीय रेल (रेलवे) जैसे संस्थागत निकाय भी खो-खो को अपने आधिकारिक खेल कैलेंडरों में शामिल कर चुके हैं।
खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने इस अवसर को केवल प्रतीकात्मक मान्यता नहीं, बल्कि खेल की बढ़ती राष्ट्रीय प्रासंगिकता की पुष्टि बताया। उन्होंने कहा, “हम देख रहे हैं कि कैसे एक परंपरागत भारतीय खेल अब शीर्ष संस्थागत मंचों तक पहुंच रहा है। यह बदलाव ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत के युवाओं को खो-खो को एक व्यावसायिक करियर विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।”
उन्होंने कहा कि यह विकास खो-खो के उस पेशेवर कायांतरण को रेखांकित करता है, जिसमें अब यह खेल रोजगार, सम्मान और भविष्य का माध्यम बनता जा रहा है। सरकारी विभागों में खो-खो टीमों के गठन और खिलाड़ियों को नियुक्ति में प्राथमिकता मिलने से इस दिशा में ठोस आधार बनता जा रहा है।
उच्चतम न्यायालय महोत्सव में भी मिली जगह
इस महीने की शुरुआत में, भारत के उच्चतम न्यायालय के वार्षिक खेल महोत्सव में पहली बार खो-खो को शामिल किया गया, जिसने इस खेल की प्रतिष्ठा को और बढ़ाया। ऐसे प्रतिष्ठित मंचों पर खो-खो की भागीदारी यह दर्शाती है कि अब यह केवल गांवों के मैदानों तक सीमित खेल नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय और संस्थागत पहचान पाने में सफल रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय