Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
अमेठी, 3 जुलाई (हि.स.) बृहस्पतिवार को अमेठी जलबिरादरी की ओर से रामगंज के एक निजी स्कूल सभागार में चौमासे की वर्षा एवं भूगर्भ जल स्तर विषयक संवाद संगोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर पूजा,अर्चना एवं माल्यार्पण से हुआ। विषय का प्रवर्तन करते हुए पर्यावरणविद् डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि जनपद में आज के पांच दशक पूर्व जहां औसत भूगर्भ जल स्तर 15 - से 20 फीट रहा है ,जो आज घटकर 35-40 फीट रह गया है।
जनपद में कोका कोला एवं रेलनीर प्लांट तथा सैकड़ों अनधिकृत वाटलिंग प्लांट के अत्यधिक जलदोहन से निरन्तर धरती का पेट खाली होना चिंताजनक है। जनपद की सदा बहने वाली स्थानीय दोनों प्रमुख नदियां बरसात के बाद मालती एवं उज्जयिनी सूखी रहतीं है।बचे खुचे तालाबों में सिल्ट का जबरदस्त जमाव है। भादर ब्लाक डार्क जोन में पहुंच चुका है। इस गम्भीर जल संकट से उबरने हेतु हो रहे अत्यधिक जलदोहन रोका जाना निहायत जरूरी है तथा चौमासे में होने वाली वर्षा जल संचयन से भूगर्भ जल स्तर को ऊपर उठाया जा सकता है।
मुख्य अतिथि वी के सिंह ने कहा कि जनपद का भूगर्भ जल स्तर ऊपर उठे इसके लिए पौराणिक ज्ञान श्रेयस्कर है ,जो जल संचयन द्वारा संभव है।प्रकृति प्रेमी सत्येन्द्र प्रकाश शुक्ल ने कहा कि पहले लोगों का मानना रहा कि यदि आर्द्रा नक्षत्र में बरसात अच्छी होती है तो माना जा सकता है की मघा नक्षत्र में भी अच्छी बरसात होगी।आज तो ऋतुओं का अता-पता ही नही रहता है। कैलाश नाथ शर्मा ने कहा कि अंधाधुंध वृक्षों के कटान का सीधा असर चौमासे की बरसात में देखा जा सकता है। इसके लिए पीपल, बरगद,गूलर, पाकड़ एवं नीम आदि पंचवटी के बृक्ष सहायक हो सकते हैं।
रवींद्र सिंह ने कहा कि कोका कोला प्लान्ट के अत्यधिक जलदोहन के कारण त्रिसुंडी,रामगंज, संसारीपुर,छीड़ा, ढ़ेमा, सोनारी एवं कुरंग आदि दर्जनों गांवों का निरन्तर गिरता भूगर्भ जल स्तर चिंता का विषय है। इस संवाद गोष्ठी में राम बहादुर सिंह,दीपक सिंह, नरसिंह बहादुर सिंह एवं विजय पाल सिंह आदि के साथ सैकड़ों छात्र-छात्राओं की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। संगोष्ठी का संचालन विद्यालय के प्रबन्धक सुरेन्द्र बहादुर सिंह ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश त्रिपाठी