जमरानी क्षेत्र के 213 परिवारों के लिए पुश्तैनी गांव में मतदान करने का अंतिम अवसर
नैनीताल, 3 जुलाई (हि.स.)। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर गांव-गांव में सरगर्मी बनी हुई है, लेकिन नैनीताल जनपद के जमरानी क्षेत्र के 213 परिवारों के लिए यह चुनाव केवल जनप्रतिनिधि चुनने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके पुश्तैनी गांव में मतदान
जमरानी बांध का प्रस्तावित क्षेत्र।


नैनीताल, 3 जुलाई (हि.स.)। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर गांव-गांव में सरगर्मी बनी हुई है, लेकिन नैनीताल जनपद के जमरानी क्षेत्र के 213 परिवारों के लिए यह चुनाव केवल जनप्रतिनिधि चुनने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके पुश्तैनी गांव में मतदान करने का अंतिम अवसर भी है।

गौला नदी पर प्रस्तावित जमरानी बांध निर्माण के कारण यह परिवार जल्द ही अपने गांव से विस्थापित कर दिये जायेंगे। विस्थापन से पूर्व इन गांवों में हो रहे पंचायत चुनाव उनके लिए केवल एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि अपने अतीत से जुड़ने की अंतिम कड़ी भी बन गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार जमरानी परियोजना के अंतर्गत गौला नदी की धारा मोड़कर जल संग्रहण के लिए दो टनल बनाई जा रही हैं। बांध के पूरा होते ही पनियाबोर, पस्तोला, उड़वा और हैड़ाखान ग्राम पंचायतों के अंतर्गत आने वाले छह राजस्व गांवों के मकान व खेत जलमग्न हो जाएंगे। इस कारण इन गांवों के 213 परिवारों को उधमसिंहनगर जनपद के किच्छा के पास प्राग फार्म क्षेत्र में पुनर्वासित किया जाना है।

इस योजना पर काम भी शुरू हो गया है। विस्थापन की इस स्थिति में मरकुडिया के बुजुर्ग दीवान सिंह संभल और केसरी देवी ने बताया कि जीवनभर अपने गांव से ही मतदान किया और अब गांव छोड़ने से पहले अंतिम बार अपनी पंचायत की सरकार चुनेंगे। वहीं पहली बार मतदान करने जा रहे युवा पंकज के मन में जहां अपने अधिकार का प्रयोग करने को लेकर उत्साह है, वहीं गांव, खेत और बचपन की स्मृतियों को पीछे छोड़ने का दुख भी है। ग्रामीणों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन वर्षों से बसे घरों और जड़ों से उखड़ने का दुःख भी कम नहीं है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी