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वॉशिंगटन, 03 जुलाई (हि.स.)। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मोंटाना राज्य की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें नाबालिगों के गर्भपात के लिए अभिभावकों की सहमति को अनिवार्य बनाने वाले कानून को फिर से प्रभावी करने की मांग की गई थी। यह कानून 2013 में पारित हुआ था, लेकिन इसे अदालत में चुनौती दी गई और यह कभी लागू नहीं हो सका। पिछले साल मोंटाना में सुप्रीम कोर्ट ने इसे अमान्य घोषित कर दिया था।
मोंटाना में मतदाताओं ने हाल ही में राज्य के संविधान में गर्भपात के अधिकार को स्पष्ट रूप से सुरक्षित किया है। राज्य के रिपब्लिकन नेताओं का तर्क था कि यह फैसला माता-पिता के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
राज्य सरकार की ओर से अदालत में कहा गया, “मोंटाना यहां जिन अधिकारों की रक्षा करना चाहता है अपने बच्चे के स्वास्थ्य निर्णयों के बारे में जानने और भाग लेने का अधिकार वह माता-पिता के बुनियादी अधिकारों के केंद्र में आता है।”
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामला नहीं सुना, लेकिन दो रूढ़िवादी न्यायाधीश सैमुअल एलिटो और क्लेरेंस थॉमस ने अलग से लिखा कि यह इनकार केवल तकनीकी कानूनी मुद्दों पर आधारित है, न कि राज्य के दावे की अस्वीकृति पर।
प्लांड पेरेंटहुड संस्था, जिसने इस कानून का विरोध किया, ने कहा कि मोंटाना सुप्रीम कोर्ट का फैसला बच्चों के अधिकारों और माता-पिता के अधिकारों के बीच संतुलन बनाता है, खासकर उस राज्य में जहां गर्भपात का संवैधानिक अधिकार सुरक्षित है।
कानून के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र की किशोरी को गर्भपात कराने के लिए माता-पिता की लिखित और नोटरी प्रमाणित सहमति जरूरी होती। साथ ही, कानून में “न्यायिक बाईपास” का प्रावधान भी था, जिसके तहत किशोरी अदालत से अनुमति मांग सकती थी।
मोंटाना में एक और कानून पहले से लागू है, जिसके तहत गर्भपात की स्थिति में माता-पिता को केवल सूचित करना आवश्यक है।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में, अमेरिका के 24 से अधिक राज्यों में नाबालिगों के गर्भपात के लिए माता-पिता की सहमति की आवश्यकता है, हालांकि कुछ राज्यों में ये कानून अदालतों में स्थगित हैं। 12 अन्य राज्यों में केवल जानकारी देना जरूरी है, जिनमें से तीन में यह भी न्यायिक रोक के अधीन है।
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब पूरे अमेरिका में गर्भपात कानूनों को लेकर तीव्र बहस जारी है और यह फैसला नाबालिगों के अधिकारों तथा अभिभावकीय नियंत्रण के बीच संतुलन के संवेदनशील सवाल को एक बार फिर उजागर करता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय