बंगाली श्रमिकाें के उत्पीड़न काे लेकर बंगाल सरकार ने ओडिशा सरकार काे लिखा पत्र
कोलकाता, 3 जुलाई (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने ओडिशा सरकार को पत्र लिखकर राज्य में काम कर रहे बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों के साथ हो रहे कथित उत्पीड़न पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने ओडिशा के मुख्य सचिव मनोज आहूजा को संबोधित पत्र मे
मनोज पंत


कोलकाता, 3 जुलाई (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने ओडिशा सरकार को पत्र लिखकर राज्य में काम कर रहे बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों के साथ हो रहे कथित उत्पीड़न पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने ओडिशा के मुख्य सचिव मनोज आहूजा को संबोधित पत्र में इन श्रमिकों को बांग्लादेशी कहकर परेशान किए जाने को निंदनीय बताया है।

बंगाल के मुख्य सचिव ने अपने पत्र में लिखा है कि वे गहरे दुख और गंभीर चिंता के साथ यह पत्र लिख रहे हैं क्योंकि ओडिशा के विभिन्न हिस्सों में रोजगार के लिए गए बंगाल के श्रमिकों को केवल उनकी भाषा के आधार पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। बताया कि इन श्रमिकों में दैनिक वेतनभोगी, रिक्शा चालक, घरेलू कामगार और वर्षों से बसे परिवार शामिल हैं, जो ओडिशा की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

आरोप लगाया कि इन नागरिकों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में लिया जा रहा है, विशेषकर पारादीप और ओडिशा के तटीय जिलों जैसे जगतसिंहपुर, केंद्रापाड़ा, भद्रक, मलकानगिरी, बालासोर और कटक में। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब ये लोग आधार कार्ड, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, बिजली बिल और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दस्तावेज़ पेश करते हैं, तब भी उनकी पहचान को खारिज किया जा रहा है। कई मामलों में इन श्रमिकों से पुश्तैनी जमीन के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जो कि प्रवासी कामगारों के लिए न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि अन्यायपूर्ण भी है।

मुख्य सचिव ने इस मुद्दे पर तुरंत और मानवीय दृष्टिकोण से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया कि इन भारतीय नागरिकों के साथ भाषा या क्षेत्रीय पहचान के आधार पर भेदभाव या मनमानी हिरासत नहीं की जानी चाहिए। पत्र के अंत में उन्होंने कहा, हम हरसंभव सहयोग देने के लिए तैयार हैं ताकि पहचान सत्यापन और समाधान की प्रक्रिया सुचारू हो सके और इन नागरिकों की गरिमा और सुरक्षा को बहाल किया जा सके।-----------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर