आतंक पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एलजी का बड़ा कदम: पूर्व मंत्री
जम्मू, 3 जुलाई (हि.स.)। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री बाली भगत ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पीड़ितों के मामलों को फिर से खोलने के निर्णय को न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक और लंबे समय से प्रतीक्षित कदम बताया है। उन्
आतंक पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एलजी का बड़ा कदम: पूर्व मंत्री


जम्मू, 3 जुलाई (हि.स.)। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री बाली भगत ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पीड़ितों के मामलों को फिर से खोलने के निर्णय को न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक और लंबे समय से प्रतीक्षित कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन हजारों निर्दोष नागरिकों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है, जो दशकों तक आतंक की भेंट चढ़े और जिनके मामलों को जानबूझकर दफन कर दिया गया। पूर्व मंत्री ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि एलजी द्वारा सभी उपायुक्तों और एसएसपी को आतंक प्रभावित मामलों को पुनः खोलने और नए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश पीड़ित परिवारों में न्याय की नई उम्मीद जगा रहे हैं।

बाली भगत ने नेशनल कांफ्रेंस पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि आतंकवाद की जड़ें कश्मीर घाटी में नेकां की शह पर पनपीं और इस दौरान मासूम कश्मीरियों को वोट बैंक की राजनीति की भेंट चढ़ा दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि 1987 के विधानसभा चुनाव में नेकां और कांग्रेस की मिलीभगत से हुई धांधली ने लोकतंत्र की नींव को हिलाकर रख दिया और युवाओं में गहरा असंतोष और मोहभंग पैदा किया, जिसे पाकिस्तान ने आतंक को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया। पूर्व मंत्री ने कहा, 1987 में जनता के जनादेश के साथ धोखा हुआ और अनेक हत्याएं केवल इसलिए दबा दी गईं ताकि कुछ खास तत्वों को बचाया जा सके जो आतंकी तंत्र से जुड़े थे। उन्होंने कहा कि नेकां को नैतिक रूप से इन दशकों की हिंसा और अस्थिरता के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

बाली भगत ने एलजी सिन्हा द्वारा आतंक पीड़ितों के परिजनों को नौकरियों में प्राथमिकता देने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह केवल एक नीति नहीं, बल्कि एक नैतिक सुधार और न्याय का कार्य है। उन्होंने आतंकवादियों या उनके समर्थकों द्वारा हड़पी गई जमीनों की पुनः प्राप्ति के निर्देश को भी सराहा और कहा कि इससे आतंक के गहरे सामाजिक नेटवर्क को खत्म करने में मदद मिलेगी। यह शर्मनाक है कि अब तक पीड़ितों की जमीनें आतंक समर्थकों के कब्जे में थीं और किसी सरकार ने पहले इस अन्याय को खत्म करने का साहस नहीं दिखाया।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा