हरिशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई रविवार को रखा जायेगा
जम्मू, 3 जुलाई (हि.स.)। हरिशयनी एकादशी का व्रत इस वर्ष सन् 2025 ई. रविवार 6 जुलाई को है। हरिशयनी एकादशी व्रत के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं,ले
Rohit


जम्मू, 3 जुलाई (हि.स.)। हरिशयनी एकादशी का व्रत इस वर्ष सन् 2025 ई. रविवार 6 जुलाई को है। हरिशयनी एकादशी व्रत के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं,लेकिन जब अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है, आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को हरिशयनी एकादशी कहते है। हरिशयनी एकादशी तिथि से जगत के संचालक भगवान विष्णु चार माह के लिए शयन करने चले जाते हैं, देवता शयन करने जाते हैं, इसलिए आषाढ़ी एकादशी को हरिशयनी एकादशी,देवशयनी एकादशी, शयनी एकादशी आदि नामों से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु के विश्राम करने से सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। इसलिए श्रावण से लेकर कार्तिक मास तक भगवान शिव के पूजा-पाठ करने का अत्यंत महत्व है। चातुमार्स का समापन देवउठनी (हरिप्रबोधिनी) एकादशी पर होता है। इस एकादशी की तिथि को भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं।

हरिशयनी एकादशी का व्रत सब व्रतों में उत्तम माना गया है। हरिशयनी एकादशी व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और जो मनुष्य इस व्रत को नहीं करते वे नरकगामी होते हैं। इस व्रत के करने से व्यक्ति को दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 5 जुलाई शनिवार शाम 6 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और रविवार 6 जुलाई रात्रि 09 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी,सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि 6 जुलाई रविवार को होगी। इसलिए हरिशयनी एकादशी व्रत 6 जुलाई रविवार को होगा और हरिशयनी एकादशी व्रत का पारण 7 जुलाई सोमवार द्वादशी तिथि के दिन सुबह 05 बजकर 41 मिनट से सुबह 8 बजकर 22 मिनट तक किया जा सकता है। हरिशयनी एकादशी के दिन सिद्ध और साध्य योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को शुभ योगों में गिना जाता है। इस दौरान किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा