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इटानगर, 29 जुलाई (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश सियांग स्वदेशी किसान मंच (एसआईएफएफ) ने दावा किया है कि सियांग अपर मल्टी-प्रोजेक्ट (एसयूएमपी) से संबंधित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) के लिए रीगा और रीव के ग्रामीणों से हस्ताक्षर प्राप्त करने के लिए धोखाधड़ी के तरीके अपनाए गए।
एसआईएफएफ के प्रवक्ता तागुरी मिज़े ने मंगलवार को अरुणाचल प्रेस क्लब में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए दावा किया कि पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर) के लिए ग्रामीणों की सहमति की पुष्टि के लिए पति-पत्नी और पिता-पुत्र के हस्ताक्षर लिए गए और बाद में राज्य सरकार को सौंप दिए गए।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार, मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर यह सुझाव दिया कि रीगा के ग्रामीणों ने अपनी सहमति दे दी है, जो तथ्यात्मक रूप से गलत है।
उन्होंने कहा कि परियोजना के लिए सामुदायिक समर्थन की भ्रामक तस्वीर पेश करके राज्य सरकार को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मंच जल्द ही राज्य सरकार से सभी व्यक्तियों के नाम बताने के लिए एक आरटीआई दायर करेगा, ताकि एसआईएफएफ वास्तविक भूमि मालिक और हस्ताक्षरों की संख्या दोगुनी करने का पता लगा सके।
मिज़े ने कहा, उन नेताओं को न केवल रीगा निवासियों, बल्कि सियांग बेसिन के सभी प्रभावित निवासियों की भावनाओं से खिलवाड़ करने से बचना चाहिए, जबकि वे कुछ मुट्ठी भर लोगों के हस्ताक्षरों को दोगुना कर रहे हैं।
रीगा गांव से हाल ही में पीएफआर के पक्ष में हस्ताक्षर करने वाले 17 लोगों के बारे में बात करते हुए, मिज़े ने स्पष्ट किया कि वे सभी अंचल समिति सदस्य (एएसएम) और ग्राम पंचायत सदस्य (जीपीएम) हैं और वे पूरे रीगा गांव का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
दरअसल, पंचायत मंत्री ओजिंग तासिंग और उनके समर्थकों को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, इन 17 लोगों ने रीगा गांव के लोग, गांव के लोगों की जानकारी के बिना समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने बताया कि इन पंचायत नेताओं को बैठक के लिए आठ से अधिक बार आमंत्रित किया गया है, लेकिन वे इसमें शामिल होने के लिए अनिच्छुक हैं। आखिरकार उन्हें 31 जुलाई को आखिरी बार बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है। अगर वे इसमें शामिल नहीं होते हैं, तो गांव वाले अपना अगला कदम उठाएंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी