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इटानगर, 29 जुलाई (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश के केयी पान्योर जिला के संसाधन समिति राधपु (आरसीआर) ने वन बंदोबस्त अधिकारी सह जिला उपायुक्त से राधपु गांव के वन संरक्षित क्षेत्र (आरवीआरएफ) के लिए प्रक्रिया को अस्वीकार करने और संबंधित प्राधिकारी से उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है। आरवीआरएफ अवैध रूप से ग्रामीणों की जमीन के वन विभाग को दान कर रहे हैं।
आज अरुणाचल प्रेस क्लब में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए आरसीआर के महासचिव लिखा बुध ने बताया कि तार तोरम के नेतृत्व मे तार परिवार ने लगभग 500 हेक्टेयर सामुदायिक भूमि, जो केयी पन्योर जिले के अंतर्गत पांच पंचायतों के ग्रामीणों की है, भूमि मालिक से परामर्श किए बिना अवैध रूप से वन विभाग को ग्राम आरक्षित वन (आरवीआरएफ) के लिए दान कर दिया है।
सारी प्रक्रिया और आधिकारिक गतिविधियां ग्रामीणों को सूचित किए बिना की गईं। इसके लिए बैठक तार पगी के निवास में एक बंद कमरे में आयोजित की गई और आम जनता को इसकी जानकारी नहीं थी।
उन्होंने कहा कि केवल एक विशेष परिवार ने अत्यंत गुप्त तरीके से नौ मई, 2016 को पर्यावरण एवं वन विभाग, अरुणाचल प्रदेश सरकार के साथ एक कथित समझौता पत्र निष्पादित किया, जिसका प्रतिनिधित्व रेंज वन अधिकारी, याचुली वन रेंज ने किया और पांच पंचायतों- राधपु, डेम, टॉम मव्या, नीलम और कुगी तोती को कवर करने वाली 500 हेक्टेयर भूमि दान कर दी, जिसे ग्राम आरक्षित वन घोषित किया गया।
रिकॉर्ड के अनुसार, आरवीआरएफ प्रक्रियाएं वर्ष 2016 में चल रही थीं और ग्रामीणों को इसकी जानकारी वर्ष 2022 में तब हुई जब कैम्पा के तहत कुछ धनराशि स्वीकृत की गई और अब तक प्रस्तावित रुधपु ग्राम आरक्षित वन के लिए 1.2 करोड़ की निधि स्वीकृत की जा चुकी है।
इस संबंध में हमने 2022 में एसआईसी में शिकायत दर्ज की थी और प्रभावित गांव में कई बार बैठकें भी हुईं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
उन्होंने कहा कि हमने गौहाटी उच्च न्यायालय की इटानगर स्थायी पीठ युपिया में एक मामला दायर किया और हाल ही में 3 मार्च, 2025 को अदालत ने मामले को खारिज कर दिया। कुछ कमी के चलते पुनर विचार करने का निर्देश दिया।
अदालत द्वारा मामला खारिज किए जाने के बाद मामले को पुन: सत्यापन के लिए केयी पान्योर जिले के डीसी के पास भेज दिया गया था और डीसी द्वारा दो बार सुनवाई की गई और सुनवाई के दौरान 99 प्रतिशत ग्रामीणों ने वीएफआर के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया।
इसलिए हमने डीसी से प्रस्तावित राधपु गांव वन रिजर्व की अधिसूचना रद्द करने का अनुरोध किया। हालांकि; उच्च न्यायालय ने अधोहस्ताक्षरी का मामला इस आधार पर खारिज कर दिया था कि राज्य प्रतिवादियों को अभी तक उद्घोषणा नोटिस जारी नहीं किया गया है, जिसे राज्य प्रतिवादी ने अपने हलफनामे में स्वीकार कर लिया है और वे विनियमन 1891 की धारा 6 के तहत प्रदत्त अपने अधिकार का पता लगाने के लिए स्वतंत्र होंगे।
इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि 10 जुलाई, 2025 को उन्होंने इस मामले में शामिल सभी तार परिवार के खिलाफ याचुली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी और जिसके चलते उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी