शोध केवल एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक आत्मपरिवर्तनकारी अनुभव: प्रो. संजय कुमार
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला का छाया चित्र


इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला का छाया चित्र


प्रयागराज, 29 जुलाई (हि.स.)। शोध केवल एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक आत्मपरिवर्तनकारी अनुभव है, जिसमें भावना, आलोचनात्मक सोच और चिंतनशील अन्वेषण का समावेश होता है। यह बात मंगलवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित अकादमिक कार्यशाला एवं प्री पीएचडी कोर्स वर्क की शुरूआत के मौके पर अनुभव साझा करते हुए विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय कुमार ने कही।

उन्होंने एक ऐसे छात्र की कहानी साझा की गई जो शुरू में असमर्थ था, लेकिन बाद में मानसिकता परिवर्तन और धैर्य के बल पर असाधारण प्रदर्शन किया। इस मौके पर ​कला संकाय की अधिष्ठाता प्रो. अनामिका रॉय ने इस कोर्स की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे शोध उत्कृष्टता और अकादमिक तैयारी का आधार बताया। उन्होंने अपने पीएचडी के अनुभव साझा किए और बताया कि इतिहास कैसे मनोविज्ञान से जुड़ता है, और इतिहासकार किस प्रकार लोगों के मन को समझने की कोशिश करते हैं।

प्रो. अतुल कुमार ने 1980 के दशक की कुछ रोचक घटनाएं साझा कीं, जिनमें विभाग का पहला कंप्यूटर प्राप्त करना और ओम्निबस एवं सीबीआर जैसे बहु-प्रोजेक्ट प्रयासों का उल्लेख शामिल था, जो उस समय की अकादमिक नवाचार संस्कृति को दर्शाता है।

प्रो. नीना कोहली ने एक प्रभावशाली प्रसंग साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने “career” शब्द को “cancer” पढ़ना शुरू कर दिया था क्योंकि उनका शोध कैंसर पर था।

मार्गदर्शक की भूमिका को भी एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया—उसे केवल निर्देश देने वाला नहीं, बल्कि एक सहयोगी मार्गदर्शक के रूप में देखा जाना चाहिए। डॉ. अदिति बनर्जी का उदाहरण दिया गया, जिन्होंने अकेलेपन और एंटी-हीरो कथाओं पर अपने पीएचडी शोध को आत्मविश्वास से आगे बढ़ाया।

शोध पद्धति और नवाचार के महत्व को रेखांकित करते हुए अनुसंधान एवं विकास के अधिष्ठाता प्रो. एस.आई. रिज़वी ने विश्वविद्यालय की नवीनतम शोध प्रकाशन का परिचय दिया। प्रो. नीना कोहली, प्रो. अतुल कुमार, प्रो. रघु सिन्हा और प्रो. चन्द्रांशु सिन्हा जैसे संकाय विशेषज्ञों ने शोध यात्रा, आत्मनिर्भरता, अकादमिक स्वतंत्रता और अंतःविषय अध्ययन पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग ने मंगलवार को अपने प्री-पीएचडी कोर्स वर्क कार्यक्रम के भव्य उद्घाटन के साथ एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक उपलब्धि हासिल की। यह कार्यक्रम डॉक्टरेट उम्मीदवारों को अनुसंधान कौशल और विद्वत्तापूर्ण सोच से सुसज्जित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न विषयों के वरिष्ठ संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और छात्रों की उपस्थिति रही।

उद्घाटन सत्र की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन समारोह से हुई, इसके बाद विश्वविद्यालय के गौरवशाली बौद्धिक इतिहास को समर्पित ‘कुलगीत’ का भावपूर्ण गायन हुआ। विभाग के संस्थापक अध्यक्ष, दिवंगत प्रो. दुर्गानंद सिन्हा को उनकी दूरदर्शी योगदानों के लिए विशेष श्रद्धांजलि अर्पित की गई। स्वागत भाषण शोधार्थियों सौरभ सिंह और प्रशंसा द्वारा दिया गया, जिन्होंने पूरे कार्यक्रम को उत्साहपूर्ण और भविष्यदर्शी रूप प्रदान किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल