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मुंबई/नई दिल्ली, 29 जुलाई (हि.स)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मंगलवार को नए नियम जारी किए हैं। आरबीआई ने बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन (एनबीएफसी) सहित किसी एकल विनियमित संस्था (आरई) द्वारा वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) योजना में निवेश करने की सीमा को कोष के 10 फीसदी तक तय की है। ये नियम 01 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा।
आरबीआई ने जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि बैंक और अन्य विनियमित वित्तीय संस्थान वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) में कैसे निवेश कर सकते हैं। रिजर्व बैंक (एआईएफ में निवेश) निर्देश, 2025 के मुताबिक किसी भी एआईएफ योजना में सभी विनियमित संस्थाओं का कुल योगदान उस योजना के कोष के 20 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। रिजर्व बैंक के बयान के मुताबिक आरई से तात्पर्य बैंकों, एनबीएफसी और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों से है।
रिजर्व बैंक ने जारी परिपत्र में कहा कि दिशानिर्देशों की समीक्षा उद्योग जगत की प्रतिक्रिया के साथ ही सेबी के नियमों को ध्यान में रखते हुए की गई है। आरबीआई के परिपत्र में कहा गया, ‘‘कोई भी विनियमित इकाई व्यक्तिगत रूप से किसी एआईएफ योजना के कोष में 10 प्रतिशत से अधिक का योगदान नहीं करेगी।’’ परिपत्र के मुताबिक आरबीआई सरकार के परामर्श से कुछ एआईएफ को मौजूदा परिपत्रों और संशोधित निर्देशों के दायरे से छूट दे सकता है।
उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने दिसंबर, 2023 और बाद में मार्च 2024 में एआईएफ में रिजर्व बैंक की विनियमित इकाइयों द्वारा निवेश के संबंध में नियामक दिशा-निर्देश जारी किए थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर