Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
मंडी, 29 जुलाई (हि.स.)। सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद शैक्षणिक सत्र 2025-2026 का औपचारिक उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर, कुलपति, प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने सभी संकाय सदस्यों के साथ एक बैठक की और इस बात पर ज़ोर दिया कि अवकाश के बाद, प्रत्येक शिक्षक को नई ऊर्जा और उत्साह के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। कुलपति ने संकाय सदस्यों से अपनी-अपनी शैक्षणिक फाइलें तैयार करने और इस शैक्षणिक वर्ष में की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाने को कहा। प्रो. अवस्थी ने विभागाध्यक्षों से अपने-अपने विभागों की वार्षिक आवश्यकताओं को प्रस्तुत करने को कहा। प्रो. ललित अवस्थी ने विशेष रूप से अनुसंधान के क्षेत्र में सक्रिय योगदान के महत्व पर ज़ोर दिया और कहा कि सभी प्रयास विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मंचों पर स्थापित करने की दिशा में होने चाहिए। उन्होंने सभी विभागाध्यक्षों से अपने-अपने विभागों के लिए एक विज़न दस्तावेज़ तैयार करने का भी आग्रह किया, जिसमें आने वाले वर्षों के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा हो, जिसमें अनुसंधान, नवाचार और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के साथ सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाए। इस अवसर पर, सभी डीन, विभागाध्यक्ष और कर्मचारी उपस्थित थे, जिन्होंने अपने विचार साझा किए और कुलपति को आगामी शैक्षणिक सत्र के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में अपना पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। बैठक अध्यक्ष महोदय के प्रति धन्यवाद ज्ञापन के साथ समाप्त हुई। प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने अपने संबोधन में शैक्षणिक गतिविधियों, विकास गतिविधियों और छात्र-संबंधी गतिविधियों में उत्कृष्टता लाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रत्येक संकाय द्वारा बाह्य वित्त पोषण एजेंसियों को शोध प्रस्ताव लिखने की आवश्यकता पर बल दिया। यदि विश्वविद्यालय के प्रदर्शन को शोध प्रकाशनों से अधिक मापा जाए, तो इसकी गुणवत्ता और बाह्य वित्त पोषित शोध परियोजनाएँ प्रमुख विशेषताएं हैं। इसलिए, अनुसंधान और नवाचार में प्रत्येक संकाय की भागीदारी आवश्यक है। ताकि विश्वविद्यालय ऐसी रैंकिंग में अपनी जगह बना सके। इसके साथ ही, विश्वविद्यालय में शोधार्थियों की प्रगति की निगरानी उनके गुणवत्तापूर्ण प्रकाशनों, शोध योगदान और उनके शोध कार्यों से प्राप्त पेटेंट के आधार पर की जानी चाहिए। ताकि उनका शोध हमारे क्षेत्र और पूरे देश की समस्याओं के समाधान में योगदान देने में सहायक हो। प्रो. एल. के. अवस्थी ने छात्रों के सर्वांगीण विकास पर भी बल दिया। उन्होंने डीएसडब्ल्यू से विश्वविद्यालय में आने वाले सभी नए छात्रों के लिए उत्कृष्ट ओरिएंटेशन कार्यक्रम तैयार करने को कहा। प्रो. अवस्थी ने उन प्रसिद्ध शिक्षाविदों के नाम सुझाए जिन्हें नए छात्रों से बात करने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए और उन्हें यह बताना चाहिए कि डिग्री प्रोग्राम पूरा करने के बाद उनसे क्या अपेक्षाएं की जाती हैं। प्रो. अवस्थी ने रैगिंग और ड्रग्स के प्रति शून्य सहनशीलता की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने छात्र कल्याण के डीन से रैगिंग और ड्रग्स के दुरुपयोग से संबंधित किसी भी शिकायत को संभालने वाली सभी समितियों के संबंध में स्थायी स्थानों पर होल्डिंग लगाने को कहा। उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से हिमाचल प्रदेश के माननीय शिव प्रताप शुक्ला जी के नशा मुक्त हिमाचल के योगदान के बारे में सुझाव दिया। उन्होंने छात्र कल्याण के डीन से छात्रों के बीच ड्रग्स के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता से संबंधित कार्यक्रमों की समय-सारिणी बनाने को भी कहा। अंत में, प्रो. अवस्थी ने सभी से अपने नए विश्वविद्यालय के विकास में योगदान देने के लिए अपना शत-प्रतिशत प्रयास करने को कहा। उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने के लिए विश्वविद्यालय के प्रत्येक व्यक्ति का योगदान समान रूप से महत्वपूर्ण है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा