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गुवाहाटी, 29 जुलाई (हि.स.)। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (पूसीरे) ने पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पूसीरे ने हुए लामडिंग मंडल के अधीन मालीगांव और पांडु रेल कॉलोनियों में एक एकीकृत अपशिष्ट प्रशोधन प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण शुरू किया है।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) कपिंजल किशोर शर्मा ने मंगलावर को बताया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,गुवाहाटी (आईआईटी,गुवाहाटी) द्वारा यह सर्वेक्षण, पूसीरे के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत किया जा रहा है। इस सहयोग के तहत, आईआईटी, गुवाहाटी तकनीकी सलाह देने के साथ-साथ व्यापक क्षेत्रीय अध्ययन करेगा, ताकि प्रस्तावित प्रणाली की व्यवहार्यता, डिज़ाइन और कार्यान्वयन रणनीति का मूल्यांकन किया जा सके।
सीपीआरओ ने बताया कि इस पहल से रेल प्रतिष्ठानों में स्मार्ट और सुदृढ़ अपशिष्ट निपटान में एक मानक स्थापित होने की उम्मीद है। फील्ड सर्वेक्षण पूरा होने के बाद एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर पूसीरे को सौंपा जाएगा। इस डीपीआर में आवश्यक बुनियादी संरचना, अनुमानित व्यय, प्रशोधन पद्धति और कार्यान्वयन समय-सीमा का विवरण का उल्लेख रहेगा।
उन्होंने बताया कि प्रस्तावित एकीकृत अपशिष्ट प्रशोधन प्रणाली स्रोत पर पृथक्करण, जैविक और अजैविक कचरे का वैज्ञानिक निपटान, स्वच्छ भारत मिशन के दिशा-निर्देशों और राष्ट्रीय अपशिष्ट प्रबंधन प्रोटोकॉल के अनुरूप कंपोस्टिंग और पुनर्चक्रण जैसी प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य रेल कॉलोनियों में रहने वाले कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए स्वच्छता, स्वास्थ्य और जीवन स्तर में सुधार लाना है। साथ ही, यह प्रणाली ट्रेन परिचालन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और जीरो-वेस्ट कॉलोनी मॉडल की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान देने में सहायक होगी।
पूसीरे सतत विकास, अवसंरचनात्मक नवाचार और अपने कर्मचारियों एवं आस-पास के समुदायों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है।-------------
हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय