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हरिद्वार, 29 जुलाई (हि.स.)। आयुर्वेद के महान आचार्य और कायचिकित्सा के जनक आचार्य चरक की जयंती पर ऋषिकुल राजकीय आयुर्वैदिक कॉलेज में व्याख्यान का आयोजन हुआ।
मुख्य वक्ता के रूप में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ऋषिकुल परिसर के वरिष्ठ परामर्श चिकित्सक डॉ. अवनीश उपाध्याय ने कहा कि चरक संहिता केवल प्राचीन ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह आज भी आधुनिक चिकित्सा के लिए मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए चरक के सिद्धांतों का आधुनिक अनुसंधान के साथ समन्वय आवश्यक है।
डॉ अश्वनी कौशिक, चिकित्सा अधिकारी राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय निरंजनपुर ने कहा आचार्य चरक ने आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान को केवल औषधियों तक सीमित नहीं रखा बल्कि उसे एक वैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण प्रदान किया। उनकी अमूल्य कृति ‘चरक संहिता’ विश्व के प्राचीनतम और सर्वाधिक प्रामाणिक चिकित्सा ग्रंथों में से एक है, जिसमें स्वास्थ्य संरक्षण, जीवनशैली और रोग निवारण के गहन सिद्धांत प्रतिपादित किए गए हैं।
उनका दोष सिद्धांत (वात, पित्त, कफ) आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न शारीरिक तंत्रों के कार्य के समान है। अग्नि और पाचन क्रिया का सिद्धांत आज के मेटाबोलिज़्म विज्ञान से मेल खाता है। चरक संहिता में 600 से अधिक औषधीय पौधों तथा 200 से अधिक खनिज एवं पशुजन्य द्रव्यों का वर्णन है, जिन पर आधुनिक अनुसंधान लगातार हो रहे हैं।
डॉ स्वास्तिक सुरेश जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी ने कहा आचार्य चरक ने केवल औषध विज्ञान नहीं दिया, बल्कि उन्होंने चिकित्सा का ऐसा दर्शन प्रस्तुत किया जो आज भी उतना ही वैज्ञानिक है जितना हजारों वर्ष पहले था। वर्तमान समय में आयुर्वेद चिकित्सकों को चाहिए कि वे चरक संहिता के मूल सिद्धांतों को समझें और उन्हें आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान के साथ जोड़ें। ऐसा करने से आयुर्वेद वैश्विक स्तर पर भी वैज्ञानिक चिकित्सा के रूप में स्थापित होगा।
डॉ धर्मेंद्र वरिष्ठ चिकित्साधिकारी आयुष्मान आरोग्य मंदिर बिहारी नगर ने कहा चरक जयंती हमें संकल्प लेने का अवसर देती है कि हम आहार, दिनचर्या, योग और औषधि के माध्यम से रोगी के जीवन में समग्र स्वास्थ्य स्थापित करें। यही आचार्य चरक के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
डॉ नवीन दास चिकित्साधिकारी आयुष्मान आरोग्य मंदिर सालियर ने कहा आचार्य चरक का जीवन और उनकी शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि चिकित्सा केवल रोग का उपचार नहीं बल्कि स्वस्थ जीवन का विज्ञान है। आज के आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए यह आवश्यक है कि वे प्राचीन सिद्धांतों को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ जोड़कर आधुनिक चिकित्सा प्रणाली को पूरक बनाएं। यही प्रयास आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर उसकी वास्तविक पहचान दिलाने में सहायक होगा और आचार्य चरक के विचारों को युगों तक जीवित रखेगा
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला